राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की वार्षिक बैठकों को हमेशा से देश की वैचारिक धारा को दिशा देने वाली घटनाओं के रूप में देखा जाता है। राजस्थान के ऐतिहासिक शहर जोधपुर में चल रही संघ की इस बैठक का दूसरा दिन विशेष रूप से चर्चाओं और विचार–मंथन का केंद्र बना। इस दिन नई शिक्षा नीति (NEP 2020) और संघ द्वारा प्रस्तावित पंच परिवर्तन पर गहन विमर्श हुआ। शिक्षा और सामाजिक सुधारों से जुड़ी यह बहस केवल संघ तक सीमित नहीं बल्कि समूचे भारतीय समाज को प्रभावित करने वाली है।
आइए विस्तार से जानते हैं कि इस बैठक में क्या–क्या मुद्दे उठाए गए और किस तरह संघ की दृष्टि में ये दोनों विषय भविष्य के भारत को आकार देने वाले हैं।
जोधपुर में RSS बैठक का महत्व
जोधपुर की बैठक केवल एक संगठनात्मक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसे एक वैचारिक प्रयोगशाला के रूप में देखा जाता है। यहां देशभर से आए वरिष्ठ पदाधिकारी, विचारक और नीति–निर्माण में जुड़े लोग अपनी बात रखते हैं। इस वर्ष का विशेष फोकस रहा –
- नई शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन
- पंच परिवर्तन का समाज में प्रसार
ये दोनों ही विषय भारत के वर्तमान और भविष्य के लिए बेहद प्रासंगिक हैं। शिक्षा जहां आने वाली पीढ़ियों को गढ़ने का काम करती है, वहीं पंच परिवर्तन भारतीय समाज को नए ढांचे में ढालने की प्रक्रिया है।
नई शिक्षा नीति पर चर्चा
1. पृष्ठभूमि
भारत की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से औपनिवेशिक ढांचे पर टिकी रही। अंग्रेजों ने ऐसी शिक्षा दी जो नौकरीपेशा वर्ग तो तैयार करती थी, लेकिन राष्ट्र निर्माण और मूल्यों की दृष्टि से अधूरी थी। आज़ादी के बाद कई आयोग और समितियाँ बनीं, लेकिन व्यापक बदलाव की दिशा में ठोस कदम हाल ही में 2020 में आई नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के रूप में देखा गया।
2. RSS की दृष्टि
संघ लंबे समय से इस बात पर जोर देता आया है कि शिक्षा भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों से जुड़ी होनी चाहिए। बैठक में संघ के कई विचारकों ने कहा –
- शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी दिलाना नहीं होना चाहिए।
- छात्रों में चरित्र निर्माण, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना पैदा करनी होगी।
- भारतीय भाषाओं और मातृभाषा को शिक्षा का मुख्य माध्यम बनाने पर बल दिया गया।
- गुरुकुल परंपरा और आधुनिक विज्ञान के मेल को ज़रूरी बताया गया।
3. मुख्य बिंदु जिन पर चर्चा हुई
- स्कूल स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा : बच्चों को प्राथमिक स्तर पर अपनी भाषा में पढ़ाना उनके मानसिक विकास के लिए सहायक है।
- कौशल आधारित शिक्षा : सिर्फ किताबों तक सीमित न रहकर छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान दिया जाए।
- भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश : वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, योग और खगोलशास्त्र जैसी परंपराओं को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाए।
- अनुसंधान और नवाचार : विश्वविद्यालयों को रिसर्च–उन्मुख बनाना होगा।
- नैतिक शिक्षा : धर्म, आस्था और जीवन मूल्यों से जुड़ी शिक्षा पर जोर।
4. चुनौतियाँ
- शिक्षकों को नई नीति के अनुरूप प्रशिक्षित करना।
- सरकारी और निजी स्कूलों के बीच की खाई को पाटना।
- तकनीक का उपयोग ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में समान रूप से करना।
बैठक में माना गया कि NEP 2020 सही दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समाज के हर वर्ग को जोड़ना ज़रूरी होगा।
पंच परिवर्तन पर विमर्श
नई शिक्षा नीति के साथ–साथ इस बैठक में संघ द्वारा प्रस्तावित पंच परिवर्तन पर भी गहरी चर्चा हुई। संघ का मानना है कि यदि समाज को नई दिशा देनी है तो इन पाँच परिवर्तनों को आत्मसात करना आवश्यक होगा।
1. विचार परिवर्तन
- समाज की सोच में बदलाव लाना सबसे पहली जरूरत है।
- केवल उपभोक्तावादी दृष्टिकोण से हटकर राष्ट्रहित और सामूहिक कल्याण की सोच विकसित करनी होगी।
- मीडिया, शिक्षा और साहित्य के माध्यम से यह विचार परिवर्तन संभव है।
2. व्यवहार परिवर्तन
- केवल सोच बदलने से काम नहीं चलेगा, उसे व्यवहार में लाना ज़रूरी है।
- दैनिक जीवन में स्वच्छता, समयपालन, अनुशासन और सहकारिता पर जोर।
- उदाहरण के तौर पर – ‘स्वदेशी अपनाओ, देशी उत्पादों का उपयोग करो’।
3. जीवनशैली परिवर्तन
- संघ का मानना है कि आज की भोगवादी जीवनशैली समाज को कमजोर कर रही है।
- जीवन को सरल, पर्यावरण–अनुकूल और संतुलित बनाने पर बल दिया गया।
- योग, आयुर्वेद और स्वस्थ खान–पान को जीवन का हिस्सा बनाने की बात।
4. सामाजिक परिवर्तन
- जातिगत और आर्थिक असमानताओं को दूर करना।
- महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देना।
- ग्रामीण भारत को विकास की धारा से जोड़ना।
5. राष्ट्रीय परिवर्तन
- अंततः उपरोक्त सभी बदलाव मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन लाते हैं।
- आत्मनिर्भर भारत, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और विश्वगुरु बनने का लक्ष्य इसी से संभव है।
शिक्षा नीति और पंच परिवर्तन का आपसी संबंध
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि नई शिक्षा नीति केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में व्यापक परिवर्तन का साधन है। जब शिक्षा भारतीय मूल्यों के अनुरूप होगी, तभी पंच परिवर्तन को समाज में उतारना आसान होगा।
- विचार परिवर्तन शिक्षा के माध्यम से होगा।
- व्यवहार और जीवनशैली परिवर्तन संस्कार आधारित शिक्षा से आएगा।
- सामाजिक परिवर्तन समान शिक्षा अवसरों से संभव होगा।
- और राष्ट्रीय परिवर्तन शिक्षित, संस्कारित युवाओं से ही संभव है।
विशेषज्ञों और विचारकों की राय
बैठक में शिक्षा विशेषज्ञों और संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने विचार रखे।
- कुछ ने कहा कि शिक्षा नीति का सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण भारत को मिलेगा, जहाँ पहली बार मातृभाषा पर जोर दिया जा रहा है।
- कुछ ने इस पर बल दिया कि भारतीय युवाओं को सिर्फ नौकरी तलाशने वाला नहीं बल्कि रोज़गार देने वाला बनाना होगा।
- महिला शिक्षा पर भी विशेष चर्चा हुई और यह कहा गया कि बिना महिलाओं की भागीदारी के कोई भी राष्ट्रीय परिवर्तन अधूरा है।
आलोचना और चुनौतियाँ
बैठक में यह भी स्वीकार किया गया कि इस नीति और पंच परिवर्तन को लागू करने में कई चुनौतियाँ हैं।
- शिक्षण संस्थानों में ढांचागत कमियाँ।
- समाज में पाश्चात्य संस्कृति का गहरा प्रभाव।
- राजनीति और शिक्षा के बीच तालमेल की कमी।
- और सबसे बड़ी चुनौती – मानसिकता बदलना।
संघ के विचारकों का मानना है कि ये चुनौतियाँ कठिन ज़रूर हैं, लेकिन असंभव नहीं। यदि समाज एकजुट होकर इस दिशा में प्रयास करे तो भारत एक नए युग की ओर बढ़ सकता है।
भविष्य की राह
बैठक के अंत में यह तय किया गया कि –
- RSS की शाखाओं और शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से NEP के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी।
- पंच परिवर्तन को समाज में अभियान के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।
- ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर स्वयंसेवकों की विशेष भूमिका होगी।
- राष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
निष्कर्ष
जोधपुर में संघ की बैठक का दूसरा दिन ऐतिहासिक रहा। इसमें हुई चर्चाएँ केवल संगठन तक सीमित नहीं बल्कि पूरे देश के भविष्य को प्रभावित करने वाली हैं। नई शिक्षा नीति और पंच परिवर्तन दोनों ही भारत को आत्मनिर्भर, संस्कारित और विश्वगुरु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
संघ का मानना है कि जब शिक्षा भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जुड़ेगी, तब समाज में वास्तविक परिवर्तन आएगा। और जब विचार, व्यवहार, जीवनशैली और समाज बदलेंगे, तभी राष्ट्र भी बदल पाएगा।
इस प्रकार यह बैठक केवल नीतियों पर विमर्श नहीं बल्कि आने वाले भारत की रूपरेखा प्रस्तुत करने वाली साबित हुई।उपलब्ध जानकारी के आधार पर विस्तार सीमित रहा। यदि आप किसी विशेष पहलू (जैसे जनजातीय शिक्षा, पर्यावरण पहल, संगठनात्मक रणनीति आदि) पर और विवरण चाहते हैं, तो मैं और भी गहराई से जानकारी प्रदान कर सकता हूँ।
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