भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने शनिवार को एक बड़ा बयान देकर सबका ध्यान खींच लिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलिल अब्बास मुतक्की (Jalil Abbas Muttaqi) से मुलाकात के बाद जयशंकर ने जो ऐलान किया है, उससे पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
यह मुलाकात भले ही औपचारिक थी, लेकिन इसके बाद भारत ने जो रणनीतिक रुख अपनाया है, वह पाकिस्तान के लिए किसी कूटनीतिक झटके से कम नहीं है।
कूटनीतिक गलियारों में हलचल — जयशंकर का बयान बना चर्चा का विषय
मुतक्की से मुलाकात के बाद डॉ. जयशंकर ने मीडिया से कहा,
“भारत अपने राष्ट्रीय हितों से किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करेगा। जो देश आतंकवाद को पनाह देते हैं या उसे अपने विदेश नीति का हिस्सा बनाते हैं, उन्हें इसका परिणाम भुगतना ही पड़ेगा।”
जयशंकर के इस बयान के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य हलकों में हलचल मच गई है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान सिर्फ चेतावनी नहीं बल्कि एक कड़ा संदेश है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance Policy) पर पूरी तरह कायम रहेगा।
मुतक्की के साथ क्या हुई बातचीत?
सूत्रों के मुताबिक, जयशंकर और मुतक्की के बीच यह बातचीत लगभग 30 मिनट तक चली।
इस दौरान भारत ने सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की बयानबाजी और FATF (Financial Action Task Force) में उसकी भूमिका को लेकर चिंता जताई।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद नहीं करता, तब तक द्विपक्षीय वार्ता (Bilateral Talks) की कोई गुंजाइश नहीं है।
जयशंकर ने कहा —
“हम शांति चाहते हैं, लेकिन वह शांति सम्मान और पारदर्शिता के साथ होनी चाहिए। भारत संवाद के खिलाफ नहीं है, लेकिन बातचीत वहीँ संभव है जहाँ आतंक नहीं।”
पाकिस्तान की दुविधा — कूटनीतिक अलगाव गहराता जा रहा है
पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार झटके लग रहे हैं।
चाहे वह IMF का कर्ज हो, FATF की निगरानी हो या G20 की बैठकों से बाहर रखा जाना, पाकिस्तान की वैश्विक साख गिरती जा रही है।
अब जयशंकर के बयान ने पाकिस्तान की कूटनीतिक मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
इस्लामाबाद के विश्लेषक मानते हैं कि भारत ने मुतक्की से मिलकर एक कूटनीतिक चाल चली है — दिखने में यह बातचीत सामान्य थी, लेकिन इसके बाद जो संकेत दिए गए, वे पाकिस्तान के लिए बेहद चेतावनीपूर्ण हैं।
भारत की नई रणनीति — ‘डिप्लोमैटिक आइसोलेशन’ के साथ ‘सॉफ्ट पावर’ का संतुलन
डॉ. जयशंकर ने अपने बयानों में यह भी इशारा दिया कि भारत अब पड़ोसी देशों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने में और तेज़ी लाएगा, खासकर बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव के साथ।
इससे पाकिस्तान को क्षेत्रीय अलगाव (Regional Isolation) का और भी ज्यादा सामना करना पड़ सकता है।
जयशंकर ने कहा —
“भारत का लक्ष्य दक्षिण एशिया में स्थिरता और विकास है। जो देश इस दिशा में सहयोग करेंगे, भारत उनके साथ खड़ा रहेगा।”
यह बयान साफ तौर पर पाकिस्तान को यह बताने के लिए था कि अगर वह आतंकवाद और राजनीतिक कट्टरता के रास्ते से नहीं हटता, तो दक्षिण एशिया में उसका कोई भविष्य नहीं रहेगा।
रक्षा और रणनीति के मोर्चे पर भी तैयारियां तेज़
बातचीत के कुछ घंटे बाद ही भारत ने ‘ऑपरेशन सुरक्षा बल 2025’ के तहत उत्तरी सीमाओं पर अतिरिक्त निगरानी बढ़ाने की घोषणा की।
सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय मुलाकात से पहले ही तय था, लेकिन जयशंकर के बयान के बाद इसे रणनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
भारतीय नौसेना ने भी अरब सागर में दो युद्धपोतों की तैनाती बढ़ाई है, जो पाकिस्तान की समुद्री गतिविधियों पर नज़र रखेंगे।
विशेषज्ञों की राय — भारत ने दिखाया ‘डिप्लोमैटिक मास्टरी’
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार सी. उदय भास्कर का कहना है —
“जयशंकर की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि भारत अब भावनाओं नहीं, बल्कि तथ्यों और ठोस कार्रवाई की राजनीति कर रहा है। मुतक्की से बातचीत एक ‘सिग्नल’ थी, समझौता नहीं।”
वहीं कूटनीति विशेषज्ञ पारुल शर्मा का मानना है कि
“यह मुलाकात पाकिस्तान को ‘फेस-सेविंग’ देने का मौका थी, लेकिन जयशंकर ने अपने सख्त रुख से यह साबित किया कि भारत अब पुराने ढर्रे पर लौटने वाला नहीं।”
भारत का स्पष्ट संदेश — आतंकवाद और वार्ता साथ नहीं चल सकते
भारत ने बार-बार यह कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक कोई बातचीत संभव नहीं है।
जयशंकर के शब्दों में —
“हम बातचीत करेंगे, लेकिन बंदूक की आवाज़ के नीचे नहीं।”
इस बयान ने न सिर्फ पाकिस्तान को झटका दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत किया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया — बौखलाहट और विरोध
मुतक्की ने भारत पर “कठोर रवैया अपनाने” का आरोप लगाया और कहा कि “कश्मीर मुद्दे को नज़रअंदाज करना शांति के खिलाफ है।”
लेकिन पाकिस्तानी मीडिया और राजनीतिक दलों में भी इस बात पर मतभेद हैं कि अब भारत के खिलाफ क्या रुख अपनाया जाए।
इस्लामाबाद के एक अखबार ने लिखा —
“जयशंकर की कूटनीति ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर घेर लिया है, और अब हमारे पास शब्दों के अलावा कोई जवाब नहीं बचा।”
भविष्य की राह — क्या पाकिस्तान सुधरेगा या टकराव बढ़ेगा?
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की रणनीति ‘Engage but on our terms’ पर आधारित है।
यानि अगर पाकिस्तान बदलता है तो भारत बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी प्रकार का दबाव या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।
पाकिस्तान को अब तय करना होगा कि वह शांति चाहता है या अलगाव।
निष्कर्ष
एस. जयशंकर और जलिल मुतक्की की मुलाकात भले ही औपचारिक रही हो, लेकिन इसके बाद जो बयान सामने आया, उसने पाकिस्तान की सियासत में भूकंप ला दिया है।
भारत का यह स्पष्ट संदेश कि “शांति हां, लेकिन आतंक नहीं” अब एक नीति बन चुका है।
पाकिस्तान को या तो अपने रास्ते बदलने होंगे या फिर उसे आने वाले समय में और कूटनीतिक झटके झेलने पड़ेंगे।
जयशंकर का यह बयान न सिर्फ भारत की विदेश नीति की दृढ़ता दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि नया भारत झुकता नहीं, बल्कि परिस्थिति को अपने पक्ष में मोड़ना जानता है।
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