‘ट्रेड वॉर से कोई विजेता नहीं बनता’ — ट्रंप की धमकी पर भड़का चीन, रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर दी कड़ी चेतावनी

"'ट्रेड वॉर से कोई विजेता नहीं बनता' — ट्रंप की धमकी पर भड़का चीन, रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर दी कड़ी चेतावनी"

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर (Trade War) एक बार फिर उबाल पर है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हाल ही में चीन को चेतावनी दी थी कि अगर वह फिर से सत्ता में आते हैं तो चीन पर “कड़े व्यापारिक प्रतिबंध” लगाएंगे।
इस धमकी का जवाब देते हुए चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि “ट्रेड वॉर में कोई भी देश विजेता नहीं बनता”

साथ ही बीजिंग ने यह भी इशारा दिया है कि अगर अमेरिका ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे तो चीन रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) की सप्लाई पर रोक लगा सकता है — जो अमेरिकी टेक्नोलॉजी और रक्षा उद्योग के लिए झटका साबित होगा।

क्या है मामला? ट्रंप की धमकी और चीन की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया भाषण में कहा था कि अगर 2025 के चुनावों के बाद वह फिर से सत्ता में आते हैं तो चीन के साथ “ट्रेड रिलेशन पूरी तरह बदल देंगे”।
उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने अमेरिकी कंपनियों से बिलियन डॉलर का फायदा उठाया है, और अब अमेरिका को अपनी नीतियों को और सख्त करना होगा।

ट्रंप ने यह तक कह दिया कि वह “चीन से आयातित वस्तुओं पर 60% तक टैरिफ लगाने” की योजना बना रहे हैं।

इस पर चीन के वाणिज्य मंत्रालय (Chinese Ministry of Commerce) ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा —

“ट्रेड वॉर (Trade War) से किसी देश को लाभ नहीं होता। जो लोग इस रास्ते पर चलना चाहते हैं, वे वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।”

रेयर अर्थ मिनरल्स क्यों हैं इतने अहम?

चीन के पास दुनिया के करीब 70% Rare Earth Minerals का उत्पादन नियंत्रण है।
ये खनिज स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, फाइटर जेट्स, मिसाइल्स, और सेमीकंडक्टर चिप्स के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं।

अगर चीन ने इनकी सप्लाई सीमित की तो यह अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए तकनीकी संकट (Tech Crisis) बन सकता है।

चीन ने इशारों में कहा है कि —

“हम अपने संसाधनों का उपयोग हथियार की तरह नहीं करते, लेकिन अगर कोई देश हमारे खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ता है, तो हमें अपने हितों की रक्षा करनी आती है।”

यह बयान यह स्पष्ट संकेत देता है कि चीन रेयर अर्थ एक्सपोर्ट पर नियंत्रण को ट्रंप की धमकी का जवाब बनाने की तैयारी में है

ट्रंप की नीति — ‘अमेरिका फर्स्ट’ की वापसी

ट्रंप अपने चुनावी अभियानों में लगातार यह दावा कर रहे हैं कि “अमेरिका ने चीन से धोखा खाया है”।
उनका मानना है कि सस्ते चीनी प्रोडक्ट्स ने अमेरिकी इंडस्ट्री को कमजोर किया है और करोड़ों नौकरियों पर असर डाला है।

उन्होंने कहा —

“मैं चीन से आने वाले हर सामान पर इतना टैक्स लगाऊंगा कि अमेरिकी कंपनियां खुद निर्माण करें, बाहर नहीं।”

ट्रंप की यह नीति ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) के नारे पर आधारित है, जिसे उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में भी जोर-शोर से लागू किया था।

लेकिन चीन का कहना है कि यह कदम “वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा” और विश्व अर्थव्यवस्था में अस्थिरता लाएगा।

चीन की रणनीति — ‘रेयर अर्थ’ को बना सकता है हथियार

चीन पिछले कुछ वर्षों में रेयर अर्थ माइनिंग और रिफाइनिंग में दुनिया का बेताज बादशाह बन चुका है।
यहां से निकलने वाले नीओडिमियम, डिस्प्रोसियम, और टर्बियम जैसे खनिज इलेक्ट्रॉनिक और रक्षा उद्योग की रीढ़ माने जाते हैं।

अमेरिका अपने 80% रेयर अर्थ मिनरल्स चीन से आयात करता है।
इसलिए अगर चीन ने एक्सपोर्ट घटाया, तो अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे Apple, Tesla, और Boeing पर सीधा असर पड़ेगा।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन यह कदम ट्रंप के आर्थिक दबाव का जवाब देने के लिए उठा सकता है।

ट्रेड वॉर का असर — ग्लोबल मार्केट में मच सकती है उथल-पुथल

अगर अमेरिका और चीन के बीच यह तनाव बढ़ता है, तो इसका असर विश्व बाजारों पर भी दिखेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार —

  • सप्लाई चेन में रुकावटें आ सकती हैं
  • कच्चे माल की कीमतें बढ़ सकती हैं
  • इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद महंगे हो सकते हैं
  • और विश्व आर्थिक विकास दर (Global GDP) में गिरावट आ सकती है।

IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने पहले ही चेतावनी दी है कि “अगर अमेरिका और चीन एक बार फिर टैरिफ युद्ध में उतरते हैं, तो इसका नुकसान पूरी दुनिया को झेलना पड़ेगा।”

विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की बयानबाजी चुनावी राजनीति का हिस्सा है, लेकिन चीन की प्रतिक्रिया बताती है कि बीजिंग इसे हल्के में नहीं ले रहा।

बीजिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर झाओ मिंग ने कहा —

“अगर अमेरिका ने दबाव बढ़ाया, तो चीन के पास कई आर्थिक हथियार हैं। रेयर अर्थ उनमें सबसे प्रभावशाली है।”

वहीं अमेरिकी विश्लेषक डॉ. माइकल हैनसन का कहना है —

“चीन की अर्थव्यवस्था भी धीमी हो रही है, इसलिए बीजिंग भी किसी बड़े व्यापारिक झटके का जोखिम नहीं लेना चाहता।”

भारत के लिए क्या मायने हैं?

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह दो महाशक्तियों का संघर्ष एक अवसर भी हो सकता है।
भारत के पास रेयर अर्थ मिनरल्स के सीमित भंडार हैं, और अगर चीन सप्लाई घटाता है, तो अमेरिका और यूरोप भारत की ओर रुख कर सकते हैं।

इससे भारत को नई निवेश संभावनाएं और रणनीतिक लाभ मिल सकते हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को संतुलन बनाए रखते हुए दोनों देशों से संबंध अच्छे रखने होंगे।

निष्कर्ष: नई ट्रेड वॉर (Trade War) की आहट

अमेरिका और चीन के बीच यह ताजा तनातनी यह संकेत दे रही है कि दुनिया एक नई आर्थिक जंग (Economic War 2.0) की ओर बढ़ रही है।
जहां रेयर अर्थ मिनरल्स नया हथियार बन सकते हैं, वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था इसका शिकार हो सकती है।

चीन ने साफ कर दिया है कि वह झुकने वाला नहीं, और ट्रंप की धमकी से डरने वाला भी नहीं।
अब सवाल यह है — क्या यह राजनीतिक बयानबाजी सिर्फ चुनाव तक सीमित रहेगी, या दुनिया एक बार फिर ट्रेड वॉर (Trade War) के संकट में फंसने वाली है?

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