बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति, कांग्रेस को 66 सीटें?

बिहार चुनाव 2025 महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति, कांग्रेस को 66 सीटें

बिहार की राजनीति हमेशा से ही पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचती रही है। 2025 का विधानसभा चुनाव अब नजदीक है और इसी बीच महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल और अन्य सहयोगी) में सीट बंटवारे को लेकर सहमति बनने की खबरें सामने आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को इस बार 66 सीटें दिए जाने की संभावना जताई जा रही है। यह खबर न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह भर रही है बल्कि पूरे महागठबंधन की रणनीति को भी नई दिशा दे रही है।

बिहार चुनाव 2025 क्यों है खास?

बिहार का राजनीतिक परिदृश्य हमेशा से जटिल और दिलचस्प रहा है। यहां की राजनीति जातिगत समीकरणों, विकास के मुद्दों और राष्ट्रीय राजनीति के असर के इर्द-गिर्द घूमती रही है।

  • 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और NDA के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था।
  • इस बार महागठबंधन की रणनीति और NDA की तैयारी दोनों ही अलग अंदाज़ में दिख रही है।
  • महागठबंधन की ओर से सीट बंटवारे की खबरें विपक्ष की एकजुटता का संदेश दे रही हैं।

महागठबंधन की मौजूदा स्थिति

महागठबंधन में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, वाम दल (CPI, CPI-ML, CPI-M) और कुछ छोटे दल शामिल हैं।

  • RJD, जो बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, सीटों का बड़ा हिस्सा अपने पास रखने के मूड में है।
  • कांग्रेस को 66 सीटों का प्रस्ताव मिलना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है क्योंकि पिछले चुनावों में कांग्रेस को अक्सर कम सीटें दी जाती रही हैं।
  • वाम दलों को भी इस बार सम्मानजनक सीटें मिलने की चर्चा है, जिससे कार्यकर्ताओं में जोश दिख रहा है।

कांग्रेस के लिए 66 सीटों का मतलब क्या?

बिहार की राजनीति में कांग्रेस का आधार कमजोर जरूर हुआ है, लेकिन उसका वोट बैंक अभी भी कई इलाकों में निर्णायक भूमिका निभाता है।

  • कांग्रेस के लिए 66 सीटें एक तरह से नई ऊर्जा का काम करेंगी।
  • यह संख्या कांग्रेस को मजबूत उपस्थिति बनाने का अवसर देगी।
  • कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद है कि इस बार वह 2020 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी।

2020 का चुनाव और कांग्रेस की स्थिति

2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी।

  • उस समय महागठबंधन की हार का एक बड़ा कारण कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन माना गया था।
  • RJD कार्यकर्ताओं में यह नाराजगी भी थी कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने के बावजूद उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
  • इसी वजह से इस बार सीट बंटवारे पर लंबी चर्चा हुई और 66 सीटों पर सहमति बनना कांग्रेस के लिए सकारात्मक संकेत है।

महागठबंधन की रणनीति

इस बार महागठबंधन ने शुरुआत से ही स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि एकता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत होगी।

  • जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सीट बंटवारा किया जा रहा है।
  • RJD अपने पारंपरिक यादव-मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा कर रही है।
  • कांग्रेस दलित, अल्पसंख्यक और शहरी वोटरों को टारगेट कर रही है।
  • वाम दल मजदूर, किसान और छात्रों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर हैं।

NDA और भाजपा की तैयारी

महागठबंधन के सीट बंटवारे की खबरों के बीच, NDA भी अपनी रणनीति पर तेजी से काम कर रहा है।

  • भाजपा अकेले दम पर सबसे ज्यादा सीटों पर दावा ठोकने की तैयारी में है।
  • जेडीयू (नीतीश कुमार की पार्टी) अभी भी NDA का हिस्सा है और उसके लिए सीट बंटवारा अहम होगा।
  • 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार का प्रदर्शन कमजोर रहा था, लेकिन भाजपा ने उनकी मदद से सत्ता बनाई थी।
  • इस बार भाजपा की कोशिश होगी कि वह नीतीश पर दबाव बनाए रखे और ज्यादा सीटें हासिल करे।

महागठबंधन बनाम NDA: सीधा मुकाबला

2025 का चुनाव एक तरह से महागठबंधन बनाम NDA होगा।

  • महागठबंधन की ओर से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है।
  • NDA की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी एक बड़ा फैक्टर होगी।
  • कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी उपस्थिति से विपक्षी मतों का बिखराव रोका जा सकेगा।

सीट बंटवारे पर विपक्ष का संदेश

महागठबंधन की ओर से सीट बंटवारे की खबर सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में संदेश साफ है कि विपक्ष विभाजन से बचना चाहता है

  • 2020 में महागठबंधन की हार के पीछे आंतरिक असंतोष भी एक कारण था।
  • इस बार कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें देना विपक्ष की एकजुटता का प्रतीक है।
  • इससे कार्यकर्ताओं में यह संदेश गया है कि इस बार हर दल को बराबरी का सम्मान मिलेगा।

जनता के मुद्दे और चुनावी एजेंडा

बिहार की जनता के लिए बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे सबसे अहम हैं।

  • महागठबंधन इन मुद्दों पर भाजपा-जेडीयू सरकार को घेरने की तैयारी में है।
  • दूसरी ओर, NDA विकास कार्यों और केंद्र की योजनाओं के जरिए जनता तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
  • महागठबंधन का फोकस यह दिखाने पर है कि उनके पास भाजपा से बेहतर विकल्प है

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस को 66 सीटें देना महागठबंधन की मजबूरी भी है और रणनीति भी।

  • मजबूरी इसलिए क्योंकि कांग्रेस के बिना विपक्ष का चेहरा अधूरा लगता है।
  • रणनीति इसलिए क्योंकि कांग्रेस का वोट बैंक अब भी कई सीटों पर जीत-हार तय कर सकता है।
  • हालांकि, असली चुनौती यह होगी कि कांग्रेस इन सीटों पर कितना प्रदर्शन कर पाती है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह

बिहार कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस खबर का स्वागत किया है।

  • कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस बार पार्टी को सही मौका मिला है।
  • उनका कहना है कि 66 सीटों के जरिए कांग्रेस को राज्य की राजनीति में अपनी पहचान वापस पाने का अवसर मिलेगा।
  • कई जिलों में कांग्रेस ने तैयारी भी शुरू कर दी है।

वाम दलों की भूमिका

महागठबंधन में वाम दलों की भूमिका भी कम नहीं है।

  • 2020 में CPI-ML ने अच्छा प्रदर्शन किया था और 12 सीटें जीती थीं।
  • इस बार भी वाम दल मजदूरों और किसानों के बीच सक्रिय हैं।
  • अगर वाम दलों को पर्याप्त सीटें मिलती हैं, तो वे महागठबंधन की ताकत को दोगुना कर सकते हैं।

बिहार का बदलता राजनीतिक समीकरण

बिहार की राजनीति इस समय त्रिकोणीय न होकर मुख्यतः द्विकोणीय होती जा रही है।

  • एक तरफ NDA, दूसरी तरफ महागठबंधन।
  • छोटे दलों का प्रभाव सीमित होता जा रहा है।
  • ऐसे में कांग्रेस को 66 सीटें देना, महागठबंधन की रणनीति को और भी मजबूती देगा।

निष्कर्ष

बिहार चुनाव 2025 का चुनावी दंगल बेहद रोमांचक होने जा रहा है। महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति बनना इस बात का संकेत है कि विपक्ष इस बार पूरी तैयारी और एकजुटता के साथ मैदान में उतरना चाहता है। कांग्रेस को 66 सीटें मिलना न सिर्फ पार्टी के लिए बड़ा मौका है बल्कि पूरे महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा है। हालांकि, अंतिम सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल जमीनी स्तर पर कितना बेहतर प्रदर्शन करते हैं। आने वाले महीनों में बिहार की राजनीति और भी दिलचस्प मोड़ ले सकती है।

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