अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा चुनावी दौड़ में फिर से सुर्खियों में आए डोनाल्ड ट्रंप ने अब एक और बड़े सेक्टर पर भारी टैरिफ लगाने का संकेत दिया है। पहले से ही फार्मा सेक्टर पर दबाव बनाने के बाद ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिकी उद्योगों को बचाने के लिए वे किसी भी देश से आयातित सामान पर शुल्क बढ़ाने से पीछे नहीं हटेंगे।
किस सेक्टर पर टिकी है ट्रंप की नजर?
ट्रंप प्रशासन के करीबी सूत्रों के मुताबिक, इस बार उनकी नजर टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर है। अमेरिका का मानना है कि एशियाई देशों—खासकर भारत, चीन, बांग्लादेश और वियतनाम—से आयातित सस्ता सामान अमेरिकी घरेलू कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहा है।
- टेक्सटाइल (कपड़ा उद्योग): भारत का बड़ा निर्यात बाजार अमेरिका है। सालाना अरबों डॉलर का रेडीमेड गारमेंट और टेक्सटाइल उत्पाद अमेरिका भेजे जाते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में एशियाई देशों की हिस्सेदारी काफी अधिक है।
भारत पर क्या होगा असर?
- निर्यात पर सीधा असर: अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है तो भारत से निर्यात होने वाले गारमेंट, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो जाएंगे।
- प्रतिस्पर्धा कम होगी: वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश अगर अमेरिका से राहत पाते हैं तो भारतीय कंपनियों को अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ेगा।
- रोज़गार पर असर: भारत के टेक्सटाइल सेक्टर में करोड़ों लोग काम करते हैं। निर्यात घटने से रोजगार संकट और गहर सकता है।
- मुनाफावसूली में गिरावट: कंपनियों को अमेरिकी बाजार में बने रहने के लिए कीमतें कम करनी होंगी, जिससे मुनाफा घट सकता है।
ट्रंप की रणनीति क्या है?
- अमेरिका फर्स्ट नीति: ट्रंप लंबे समय से “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे को बढ़ावा देते रहे हैं।
- घरेलू उद्योग की रक्षा: उनका कहना है कि विदेशी आयात पर भारी शुल्क लगाने से अमेरिकी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार अमेरिका में ही बनेगा।
- राजनीतिक चाल: चुनावी माहौल में ट्रंप इस मुद्दे को भुनाना चाहते हैं ताकि अमेरिकी मजदूर वर्ग का समर्थन मिल सके।
भारत की तैयारी
भारत सरकार फिलहाल स्थिति पर नजर रखे हुए है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि यदि टैरिफ बढ़ा तो भारत को दोहरी रणनीति अपनानी होगी:
- अन्य बाजार तलाशना – यूरोप, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में निर्यात बढ़ाना।
- अमेरिका से बातचीत – व्यापार वार्ता के जरिए राहत की कोशिश।
- घरेलू खपत पर जोर – ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देना।
विशेषज्ञों की राय
- अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि भारत को ट्रंप की नीतियों को केवल खतरे के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे अवसर भी मानना चाहिए।
- बाजार विश्लेषक गौरव गर्ग का कहना है कि अगर भारत वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स पर ध्यान दे तो अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
ट्रंप की इस नई पहल से भारत सहित एशियाई देशों के लिए चुनौतियां जरूर बढ़ेंगी, लेकिन भारत के पास विकल्प भी मौजूद हैं। सरकार और उद्योग जगत अगर मिलकर रणनीति बनाएं तो इस संकट को मौके में बदला जा सकता है।
















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