नई दिल्ली: संसद परिसर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दो दिवसीय संसदीय कार्यशाला (वर्कशॉप) जारी है। इस वर्कशॉप का उद्देश्य पार्टी सांसदों को संसदीय कार्य प्रणाली, नीति-निर्माण और जमीनी स्तर पर जनता से जुड़ने की रणनीतियों से अवगत कराना है। कार्यशाला के दूसरे दिन का एक दिलचस्प दृश्य चर्चा का विषय बना, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरी कतार में बैठते हुए नजर आए।
वर्कशॉप का उद्देश्य
बीजेपी की इस विशेष वर्कशॉप में मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर फोकस किया जा रहा है:
- संसद में प्रभावी भागीदारी – सांसद किस तरह बहस और चर्चा में बेहतर तरीके से अपनी बात रख सकते हैं।
- जनता से जुड़ाव – सांसद अपने क्षेत्रों में किस तरह जनसंपर्क और जनकल्याण योजनाओं को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
- पार्टी की विचारधारा और अनुशासन – संसदीय आचरण और संगठनात्मक मजबूती पर जोर दिया जा रहा है।
पीएम मोदी की सादगी चर्चा में
वर्कशॉप के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरी कतार में बैठते दिखे तो यह दृश्य वहां मौजूद सांसदों और मीडिया का खास ध्यान खींच लाया। आमतौर पर प्रधानमंत्री या वरिष्ठ नेता आगे की सीटों पर बैठते हैं, लेकिन मोदी के इस कदम को उनकी सादगी और अनुशासनप्रियता का प्रतीक बताया जा रहा है।
बीजेपी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री का यह संदेश साफ था कि पार्टी में सभी बराबर हैं और यहां किसी का महत्व उनकी सीट से तय नहीं होता, बल्कि उनके काम और योगदान से होता है।
वर्कशॉप में क्या खास?
- सांसदों को विशेषज्ञों द्वारा विधान प्रक्रिया और संसदीय नियमों की जानकारी दी जा रही है।
- मीडिया से संवाद और सोशल मीडिया पर जिम्मेदार आचरण पर भी चर्चा हो रही है।
- पार्टी की आगामी रणनीति, चुनावी तैयारियां और सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाने की योजनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।
निष्कर्ष
बीजेपी की यह दो दिवसीय वर्कशॉप केवल प्रशिक्षण का मंच नहीं बल्कि अनुशासन और सादगी का संदेश भी दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आखिरी कतार में बैठना इसी संदेश को और मजबूत करता है कि पार्टी में पद से ज्यादा महत्व कार्य और समर्पण का है।
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