भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते एक नए मोड़ पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया टैरिफ विवाद ने वैश्विक बाजार में खलबली मचा दी है। इसी बीच भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अगले हफ्ते अमेरिका जाने वाले हैं, जहां दोनों देशों के बीच लंबित पड़ी ट्रेड डील पर अहम बातचीत होने की संभावना है। सवाल है—क्या इस बार अमेरिका से भारत को गुड न्यूज मिलेगी?
ट्रंप का टैरिफ विवाद और भारत पर असर
- डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि वे कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
- भारत पर इसका सीधा असर पड़ सकता है, खासकर स्टील, एल्युमिनियम और टेक्सटाइल सेक्टर में।
- भारतीय आईटी कंपनियां और फार्मा इंडस्ट्री भी अमेरिकी पॉलिसी में बदलाव को लेकर चिंतित हैं।
भारत की मांगें क्या हैं?
भारत अमेरिका से यह चाहता है कि:
- जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) के तहत फिर से छूट मिले।
- भारतीय वस्त्र, हैंडीक्राफ्ट और एग्रीकल्चर उत्पादों पर टैरिफ कम किया जाए।
- भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और H-1B वीजा धारकों पर सख्ती कम हो।
अमेरिका की शर्तें
- अमेरिका चाहता है कि भारत अपने ई-कॉमर्स नियमों और डिजिटल डेटा लोकलाइजेशन पॉलिसी में नरमी लाए।
- अमेरिकी कृषि उत्पादों और मेडिकल उपकरणों को भारत के बाजार में ज्यादा पहुंच मिले।
- रक्षा और ऊर्जा सेक्टर में बड़े अनुबंधों पर भारत सकारात्मक रुख दिखाए।
पीयूष गोयल की यात्रा क्यों अहम?

- गोयल की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत और अमेरिका दोनों ही देशों में चुनावी माहौल गर्म है।
- ट्रंप अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे के साथ टैरिफ बढ़ा रहे हैं, जबकि भारत “आत्मनिर्भर भारत” के नारे पर चल रहा है।
- इस बीच अगर कोई संतुलित समझौता होता है, तो दोनों देशों को आर्थिक लाभ हो सकता है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों की तस्वीर
- भारत अमेरिका का 9वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है।
- 2024-25 में दोनों देशों के बीच व्यापार का आकार लगभग 200 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
- भारत अमेरिका को आईटी सर्विसेज, फार्मा, टेक्सटाइल और जेम्स-स्टोन्स एक्सपोर्ट करता है, जबकि अमेरिका से भारत डिफेंस इक्विपमेंट, ऑयल और टेक्नोलॉजी इंपोर्ट करता है।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
- आर्थिक जानकारों का मानना है कि भारत को इस डील से एक्सपोर्ट बूस्ट मिल सकता है।
- हालांकि, अगर अमेरिका टैरिफ कम करने को तैयार नहीं हुआ तो भारत को भी वैकल्पिक मार्केट्स तलाशने होंगे।
- विशेषज्ञ कहते हैं कि “भारत के लिए यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी का भी सवाल है।”
निष्कर्ष
ट्रंप के टैरिफ विवाद के बीच पीयूष गोयल की यह यात्रा भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए अहम साबित हो सकती है। अगर दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर सहमति बनती है, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था और एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए बड़ी राहत होगी। लेकिन अगर बातचीत असफल रहती है, तो आने वाले दिनों में भारतीय उद्योगों को दबाव झेलना पड़ सकता है।
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