भारत का स्वच्छता और स्वच्छ हवा का ब्रांड एंबेसडर बन चुका इंदौर एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में जारी नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) रैंकिंग में इंदौर ने पूरे देश में पहला स्थान हासिल कर लिया है। इस उपलब्धि ने न केवल शहरवासियों को गर्व महसूस कराया है, बल्कि पूरे देश में यह संदेश भी दिया है कि यदि सही योजना और जागरूकता के साथ काम किया जाए तो प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से भी निपटा जा सकता है।
क्या है NCAP रैंकिंग?
भारत सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने और शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए वर्ष 2019 में NCAP (National Clean Air Programme) की शुरुआत की थी।
- इस कार्यक्रम के तहत देश के उन शहरों पर खास ध्यान दिया जाता है जहां वायु प्रदूषण का स्तर बेहद चिंताजनक है।
- सरकार ने लक्ष्य रखा था कि 2024 तक वायु प्रदूषण में 20% से 30% तक की कमी लाई जाएगी।
- रैंकिंग का निर्धारण वायु गुणवत्ता, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, शहरों में अपनाए गए नवाचार, और नागरिक सहभागिता के आधार पर किया जाता है।
इंदौर का प्रदर्शन
इंदौर पिछले कई सालों से स्वच्छ भारत अभियान में नंबर वन रहा है और अब उसने साफ हवा के मामले में भी देश को एक नई दिशा दिखाई है।
- शहर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सड़क धूलकण हटाने वाली आधुनिक मशीनों का उपयोग किया गया।
- ग्रीन बेल्ट और वृक्षारोपण अभियान को बड़े पैमाने पर लागू किया गया।
- इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए शहर में चार्जिंग स्टेशन लगाए गए और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत किया गया।
- औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाए गए और उनकी निगरानी के लिए सख्त कदम उठाए गए।
इन सभी प्रयासों के कारण इंदौर की वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया और शहर ने NCAP रैंकिंग में बाजी मार ली।
अन्य शहरों की स्थिति
जहां इंदौर शीर्ष पर पहुंचा, वहीं कई अन्य शहर अभी भी प्रदूषण से जूझ रहे हैं।
- दिल्ली, गाजियाबाद, भिवाड़ी और कानपुर जैसे शहर अब भी वायु प्रदूषण की गंभीर श्रेणी में आते हैं।
- वहीं भोपाल, सूरत, और अहमदाबाद जैसे शहरों ने भी प्रदूषण कम करने की दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं लेकिन अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।
इंदौर की जनता की भूमिका
किसी भी अभियान की सफलता केवल सरकार या प्रशासन से नहीं होती, उसमें जनता की भूमिका अहम होती है। इंदौर की जनता ने भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
- लोगों ने अपने वाहनों की नियमित जांच करवाई और कारपूलिंग तथा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल शुरू किया।
- शहरवासियों ने प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाने और हरियाली बढ़ाने के अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई।
- स्कूलों और कॉलेजों में चलाए गए जागरूकता कार्यक्रमों ने युवाओं को पर्यावरण के महत्व से जोड़ा।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इंदौर की यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि स्थानीय प्रशासन, उद्योग और जनता मिलकर काम करें तो वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अन्य शहरों को इंदौर से सीख लेकर अपने-अपने यहां प्रदूषण नियंत्रण के ठोस कदम उठाने चाहिए।
सरकार की योजनाएं
भारत सरकार अब इस उपलब्धि को एक मॉडल के रूप में देख रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कहा है कि इंदौर के अनुभव और उपायों को अन्य शहरों में भी लागू किया जाएगा।
इसके लिए सरकार:
- स्मार्ट सिटी योजनाओं के साथ प्रदूषण नियंत्रण को जोड़ेगी।
- इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए और अधिक सब्सिडी व इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएगी।
- औद्योगिक प्रदूषण पर निगरानी को और सख्त बनाएगी।
निष्कर्ष
इंदौर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि यदि संकल्प मजबूत हो और जनता प्रशासन के साथ खड़ी हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। स्वच्छता में लगातार नंबर वन रहने के बाद अब इंदौर ने NCAP रैंकिंग में भी पहला स्थान पाकर इतिहास रच दिया है।
यह उपलब्धि न केवल इंदौर बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा है। अब बाकी शहरों के सामने भी चुनौती है कि वे इंदौर से सीख लें और अपने-अपने स्तर पर वायु प्रदूषण कम करने के लिए ठोस प्रयास करें।
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