ट्रंप की अक्ल ठिकाने? टैरिफ घटकर 10% होने का बड़ा दावा

"ट्रंप की अक्ल ठिकाने? टैरिफ घटकर 10% होने का बड़ा दावा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला उनके उस विवादित फैसले से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने आयातित सामान पर भारी-भरकम टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की बात कही थी। लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में यह चर्चा तेज हो गई है कि ट्रंप की कथित “टैरिफ नीति” आखिरकार घटकर 10% पर सिमट सकती है

किसने किया बड़ा दावा?

अमेरिका के प्रमुख थिंक-टैंक और कई अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ट्रंप का 60% तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव व्यवहारिक रूप से लागू ही नहीं हो पाएगा

  • विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि ऐसा हुआ तो अमेरिकी बाजार में महंगाई आसमान छू जाएगी।
  • इससे अमेरिकी कंपनियों की उत्पादन लागत भी बढ़ेगी और उपभोक्ताओं पर सीधा बोझ पड़ेगा।
  • इसी वजह से उम्मीद जताई जा रही है कि यह टैरिफ घटाकर सिर्फ 10% तक सीमित कर दिया जाएगा।

ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी क्या है?

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी प्रचार के दौरान वादा किया था कि वे विदेशी सामान पर भारी आयात शुल्क लगाएंगे, ताकि अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।

  • चीन से आयातित सामान पर उन्होंने पहले भी कड़ा रुख अपनाया था।
  • इस बार उन्होंने कहा था कि “हर देश से आने वाले सामान” पर 60% तक टैरिफ लगाया जा सकता है।
  • उनका तर्क था कि इससे अमेरिका की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग मजबूत होगी।

आखिर क्यों घटेगा टैरिफ?

1. महंगाई का दबाव

अगर टैरिफ इतना ज्यादा लगाया गया तो अमेरिकी उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीजें बहुत महंगी मिलेंगी।

2. ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर

अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ अमेरिका से दूरी बना सकती हैं, जिससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान होगा।

3. राजनीतिक दबाव

अमेरिका के भीतर कई कारोबारी समूह और लॉबिस्ट पहले ही ट्रंप पर दबाव बना रहे हैं कि इतनी कठोर पॉलिसी लागू करना नुकसानदायक होगा।

चीन और भारत पर असर

ट्रंप की यह टैरिफ नीति सबसे ज्यादा चीन और भारत जैसे देशों को प्रभावित कर सकती है।

  • चीन से अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और मशीनरी की भारी सप्लाई होती है।
  • भारत से दवाइयाँ, आईटी सेवाएँ और कपड़ा प्रमुख निर्यात हैं।
    अगर टैरिफ 10% तक सीमित रहता है, तो इन देशों के लिए नुकसान अपेक्षाकृत कम होगा।

विशेषज्ञों की राय

  • अमेरिकी अर्थशास्त्री कहते हैं कि ट्रंप को चुनाव जीतने के लिए लोगों की जेब पर बोझ कम रखना होगा।
  • इसलिए वे अपने शुरुआती प्रस्ताव से पीछे हटकर 10% टैरिफ तक सीमित रह सकते हैं।
  • यूरोपीय संघ और एशियाई देश पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि अगर अमेरिका ने अत्यधिक टैरिफ लगाया, तो वे भी जवाबी कार्रवाई करेंगे।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप भले ही चुनावी रणनीति के तहत बड़े-बड़े वादे कर रहे हों, लेकिन हकीकत यही है कि इतनी कठोर टैरिफ पॉलिसी को लागू करना संभव नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आखिरकार ट्रंप को झुकना पड़ेगा और उनका आयात शुल्क सिर्फ 10% तक सिमट सकता है। यह न सिर्फ अमेरिकी उपभोक्ताओं बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार साझेदारों के लिए भी राहत की खबर होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *