मोदी सरकार संसद की स्थायी समितियों (Standing Committees) का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी में, शशि थरूर को होगा बड़ा फायदा

मोदी सरकार संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी में, शशि थरूर को होगा बड़ा फायदा

: केंद्र सरकार ने संसद की स्थायी समितियों (Standing Committees) के कार्यकाल को बढ़ाने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि मौजूदा कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म होने वाला है, लेकिन इस बार इसे कुछ और महीनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसका सीधा फायदा कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं को मिलेगा।

क्यों बढ़ाया जा रहा है कार्यकाल?

  • हर साल संसद की स्थायी समितियों का पुनर्गठन होता है।
  • इस साल समय पर नए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति न हो पाने की वजह से सरकार ने मौजूदा समितियों का कार्यकाल आगे बढ़ाने का फैसला लिया है।
  • सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर में संसद का विशेष सत्र या शीतकालीन सत्र बुलाए जाने की संभावना है, इसलिए सरकार नहीं चाहती कि इस दौरान समितियों का काम ठप पड़े।

शशि थरूर को क्या होगा फायदा?

  • कांग्रेस सांसद शशि थरूर वर्तमान में विदेश मामलों की स्थायी समिति (Standing Committee on External Affairs) के अध्यक्ष हैं।
  • कार्यकाल बढ़ने से वे इस पद पर और समय तक बने रहेंगे।
  • थरूर को विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों की गहरी समझ रखने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है, और इस समिति में उनकी भूमिका बेहद अहम मानी जाती है।

स्थायी समितियों की अहमियत

  • संसद की स्थायी समितियां विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज की जांच और नीतियों की समीक्षा करती हैं।
  • ये समितियां बिल, नीतिगत फैसलों और सरकारी योजनाओं की गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपती हैं।
  • इन्हें संसद के “मिनी पार्लियामेंट” के तौर पर देखा जाता है, जहां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर गंभीर चर्चा होती है।

विपक्ष की क्या राय?

  • विपक्षी दलों का मानना है कि कार्यकाल बढ़ाना एक “व्यावहारिक कदम” है, लेकिन वे चाहते हैं कि सरकार समय पर नए चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति करे।
  • कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह कदम दर्शाता है कि सरकार समितियों के महत्व को मान्यता देती है।

निष्कर्ष

मोदी सरकार के इस फैसले से न केवल संसद की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से चलती रहेगी, बल्कि शशि थरूर जैसे अनुभवी नेताओं को भी अपनी भूमिका निभाने का ज्यादा समय मिलेगा। माना जा रहा है कि यह कदम संसद में गंभीर विमर्श और नीति-निर्माण की प्रक्रिया को और मजबूत करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *