Nepal Gen-Z Protest Live: फेसबुक-यूट्यूब बैन के खिलाफ बवाल, संसद में हंगामा, एक की मौत

Nepal Gen-Z Protest Live: फेसबुक-यूट्यूब बैन के खिलाफ बवाल, संसद में हंगामा, एक की मौत

काठमांडू: नेपाल इन दिनों बड़े सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक और यूट्यूब पर बैन लगाने के फैसले के खिलाफ देशभर में युवाओं, खासकर Gen-Z पीढ़ी ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह प्रदर्शन अचानक इतना हिंसक हो गया कि प्रदर्शनकारी संसद परिसर तक जा पहुँचे। हालात बिगड़ने पर पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। इस टकराव में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं।

नेपाल में यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया की आज़ादी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और युवाओं की बदलती मानसिकता का भी प्रतीक बन गया है। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे:

  1. नेपाल सरकार का सोशल मीडिया बैन का फैसला
  2. कैसे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन?
  3. संसद में घुसे प्रदर्शनकारी – घटनाक्रम
  4. पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
  5. एक शख्स की मौत और उससे उपजी नाराज़गी
  6. युवा पीढ़ी (Gen-Z) की मांगें
  7. राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
  8. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की नजर
  9. नेपाल के लोकतंत्र पर इस आंदोलन का असर
  10. भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष

1. नेपाल सरकार का सोशल मीडिया बैन का फैसला

नेपाल सरकार ने हाल ही में घोषणा की कि देश में फेसबुक, यूट्यूब और टिक-टॉक जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अस्थायी रोक लगाई जाएगी।

सरकार का तर्क

  • सरकार का कहना था कि इन प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी खबरें, भ्रामक सूचनाएँ और अश्लील सामग्री बढ़ती जा रही हैं।
  • इससे सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
  • सरकार का दावा था कि यह बैन अस्थायी है और सोशल मीडिया कंपनियों से सख्त मॉडरेशन की मांग की गई है।

लेकिन युवाओं ने इस फैसले को सीधे तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना।

2. कैसे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन?

बैन के ऐलान के कुछ ही घंटों बाद काठमांडू विश्वविद्यालय, त्रिभुवन विश्वविद्यालय और अन्य कॉलेजों के छात्र सड़कों पर उतर आए।

  • उन्होंने #FreeSocialMedia और #NepalProtest जैसे हैशटैग के साथ ऑनलाइन कैंपेन चलाया।
  • देखते ही देखते यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया।
  • प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना था कि सरकार उनकी आवाज़ दबा रही है, जबकि सोशल मीडिया ही वह माध्यम है जहाँ से वे अपनी राय रखते हैं।

3. संसद में घुसे प्रदर्शनकारी – घटनाक्रम

प्रदर्शन ने तब हिंसक रूप ले लिया जब हजारों की संख्या में लोग संसद भवन की ओर कूच करने लगे।

  • पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने बैरिकेड्स तोड़ दिए।
  • कुछ प्रदर्शनकारी संसद भवन के भीतर घुस गए और सरकार विरोधी नारे लगाने लगे।
  • अंदर घुसने वाले युवाओं के हाथों में नेपाल का झंडा और बैनर थे, जिन पर लिखा था – “हमारी आज़ादी वापस करो” और “नो सोशल मीडिया बैन”

यह घटना नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुई।

4. पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

  • कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत हुई।
  • सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियाँ भी चलाईं।
  • सरकारी सूत्रों के अनुसार, काठमांडू और पोखरा में कई पुलिसकर्मी घायल हुए।

5. एक शख्स की मौत और उससे उपजी नाराज़गी

इस हिंसा के दौरान गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई। मृतक की पहचान 22 वर्षीय संदीप गुरूंग के रूप में हुई है।

  • उनकी मौत ने आंदोलन को और भड़का दिया।
  • सोशल मीडिया पर हजारों यूज़र्स ने संदीप को “आज़ादी का शहीद” बताया।
  • सरकार पर आरोप लगा कि वह युवाओं की आवाज़ दबाने के लिए हिंसा का सहारा ले रही है।

6. युवा पीढ़ी (Gen-Z) की मांगें

नेपाल की Gen-Z पीढ़ी (1997-2012 के बीच जन्मे लोग) इस आंदोलन की अगुवाई कर रही है।

उनकी मुख्य मांगें:

  1. सोशल मीडिया बैन तुरंत हटाया जाए।
  2. सरकार को डिजिटल साक्षरता और फर्जी खबरों की रोकथाम के लिए कदम उठाने चाहिए, न कि प्लेटफॉर्म्स बंद करने चाहिए।
  3. सरकार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देनी होगी।
  4. बैन के फैसले के पीछे जिम्मेदार मंत्रियों से इस्तीफा लिया जाए।

7. राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

  • विपक्षी दलों ने आंदोलन का समर्थन किया। नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों ने कहा कि सरकार तानाशाही की राह पर चल रही है।
  • सत्ताधारी दल ने सफाई दी कि बैन अस्थायी है और इसका मकसद व्यवस्था बहाल करना है।
  • कई वरिष्ठ नेताओं ने युवाओं को शांत रहने की अपील की, लेकिन आंदोलनकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे।

8. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की नजर

  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने नेपाल सरकार की आलोचना की और कहा कि यह फैसला लोकतंत्र के खिलाफ है।
  • संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने भी नेपाल से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने की अपील की।
  • भारत की नजर इस पूरे घटनाक्रम पर है क्योंकि नेपाल की अस्थिरता का सीधा असर भारत-नेपाल संबंधों पर पड़ सकता है। भारत ने इसे नेपाल का आंतरिक मामला बताया लेकिन शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जताई।

9. नेपाल के लोकतंत्र पर असर

नेपाल हाल ही में राजशाही से लोकतंत्र की ओर बढ़ा है। यह आंदोलन बताता है कि लोकतंत्र अब नई पीढ़ी के लिए सोशल मीडिया और डिजिटल अधिकारों से जुड़ चुका है।

  • अगर सरकार पीछे हटती है, तो यह युवाओं की जीत होगी और लोकतंत्र मजबूत होगा।
  • अगर सरकार कठोर कदम उठाती है, तो यह राजनीतिक अस्थिरता और गहरा संकट पैदा कर सकता है।

10. भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आंदोलन सिर्फ इंटरनेट की आज़ादी का मुद्दा नहीं है। यह नए युग की राजनीति का प्रतीक है, जहाँ युवा पीढ़ी अपनी पहचान और अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने को तैयार है।

  • यह घटना नेपाल के लिए एक कठिन परीक्षा है।
  • सरकार को चाहिए कि वह संवाद और सुधार के रास्ते को चुने।
  • बैन हटाकर सख्त रेगुलेशन और डिजिटल शिक्षा पर जोर देना ही बेहतर समाधान हो सकता है।

अभी यह आंदोलन थमा नहीं है। संसद में घुसने की घटना और संदीप गुरूंग की मौत ने इसे और भावनात्मक बना दिया है। नेपाल की गलियों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक अब यह चर्चा का विषय है कि क्या नेपाल अभिव्यक्ति की आज़ादी की लड़ाई में अपने युवाओं के साथ खड़ा होगा या दमन की राह चुनेगा।

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