नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की राजनीति में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है ‘फुलेरा वाली मीटिंग’। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हो रही इस अहम बैठक में कई बड़े मंत्री और अधिकारी मौजूद थे। लेकिन इस बैठक की सबसे ज्यादा सुर्खियाँ किसी एजेंडे या सरकारी फैसले को लेकर नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री के बगल में बैठे उनके पति को लेकर बनीं।
जैसे ही तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए, विपक्ष ने इस पर तंज कसना शुरू कर दिया।
क्या है ‘फुलेरा वाली मीटिंग’?
दरअसल, दिल्ली सरकार ने विकास कार्यों और नई योजनाओं की समीक्षा के लिए एक खास बैठक बुलाई थी। इसे मज़ाकिया लहजे में लोग ‘फुलेरा वाली मीटिंग’ कह रहे हैं, क्योंकि इसमें स्थानीय निकायों के साथ-साथ पंचायतनुमा ढंग से चर्चा की गई।
बैठक का मकसद था –
- राजधानी के विकास कार्यों की समीक्षा
- नई परियोजनाओं के प्रस्तावों पर विचार
- शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर चर्चा
लेकिन असली आकर्षण का केंद्र सीएम रेखा गुप्ता के पति रहे, जो पूरे समय उनके बगल में बैठे नजर आए।
विपक्ष का तंज
विपक्षी दलों ने इस घटना को तुरंत राजनीतिक मुद्दा बना लिया।
- कांग्रेस नेताओं ने कहा – “सरकार के आधिकारिक मंच पर पति को बैठाना लोकतांत्रिक परंपराओं का अपमान है।”
- बीजेपी प्रवक्ता ने व्यंग्य करते हुए कहा – “अब क्या दिल्ली की कैबिनेट मीटिंग परिवार परिषद बन जाएगी?”
- आम लोगों ने भी सोशल मीडिया पर सवाल उठाए – “क्या यह व्यक्तिगत पारिवारिक बैठक थी या जनता के टैक्स से चल रही सरकारी बैठक?”
सोशल मीडिया पर चर्चा
जैसे ही तस्वीरें वायरल हुईं, ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मीम्स की बाढ़ आ गई।
- किसी ने लिखा – “दिल्ली में पारिवारिक सरकार की झलक।”
- किसी ने कहा – “जब ऑफिस में भी पति को साथ रखना पड़े।”
- वहीं कुछ समर्थकों ने इसे “सिर्फ एक औपचारिक उपस्थिति” करार देते हुए विवाद को बेबुनियाद बताया।
सीएम ऑफिस की सफाई
मुख्यमंत्री कार्यालय ने देर शाम बयान जारी कर कहा:
- सीएम रेखा गुप्ता के पति केवल कुछ मिनटों के लिए औपचारिक तौर पर उपस्थित थे।
- उन्होंने बैठक के एजेंडे में कोई दखल नहीं दिया।
- विपक्ष इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहा है।
विपक्ष बनाम सत्ता – राजनीतिक मायने
दिल्ली की राजनीति में पहले से ही सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। ऐसे में यह घटना विपक्ष को एक और “हमला करने का मौका” दे गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
- विपक्ष जनता के बीच इसे “पारिवारिककरण” और “लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना” की तरह पेश करेगा।
- वहीं सत्ता पक्ष इसे सामान्य घटना बताते हुए “कामकाज पर फोकस” करने की अपील करेगा।
निष्कर्ष
दिल्ली की ‘फुलेरा वाली मीटिंग’ अपने एजेंडे की वजह से नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति की मौजूदगी की वजह से सुर्खियों में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा कितना तूल पकड़ता है और क्या वास्तव में यह सरकार की छवि को नुकसान पहुँचाता है या विपक्ष के लिए बस एक और राजनीतिक हथियार बनकर रह जाता है।
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