काठमांडू। नेपाल की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर खतरे की घंटी बज चुकी है। हालात ऐसे हैं कि सत्तारूढ़ गठबंधन की अंदरूनी खींचतान अब खुले विद्रोह में बदलने लगी है। सोमवार को उनकी कैबिनेट के तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे सरकार का संकट और गहरा गया है। इसके साथ ही गठबंधन की एक प्रमुख सहयोगी पार्टी ने भी साथ छोड़ने का ऐलान कर दिया है।
इस्तीफा देने वाले मंत्री
जानकारी के अनुसार, इस्तीफा देने वाले तीनों मंत्री अपनी-अपनी पार्टी नेतृत्व से नाराज़ थे और लंबे समय से कैबिनेट की नीतियों से असहमति जता रहे थे।
- शिक्षा मंत्री
- उद्योग मंत्री
- स्वास्थ्य मंत्री
इन तीनों ने प्रधानमंत्री ओली पर एकतरफा निर्णय लेने और सहयोगियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
सहयोगी पार्टी ने भी किया किनारा
सत्तारूढ़ गठबंधन की एक अहम सहयोगी पार्टी ने कहा कि ओली सरकार अब जनादेश से भटक चुकी है और गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही। पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि ओली अपने फैसलों में न तो सलाह-मशविरा करते हैं और न ही छोटे सहयोगियों को महत्व देते हैं। इस बयान के बाद सरकार की बहुमत संख्या और कमजोर हो गई है।
संसद में स्थिति
- नेपाल संसद में सत्ता और विपक्ष के बीच संख्या का अंतर पहले ही कम हो चुका था।
- तीन मंत्रियों के इस्तीफे और सहयोगी पार्टी के बाहर जाने से ओली सरकार अब अल्पमत में आ सकती है।
- विपक्षी दलों ने दावा किया है कि जल्द ही वे अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे।
विपक्ष का हमला
नेपाली कांग्रेस और माओवादी सेंटर ने ओली पर करारा हमला बोला है।
- उनका कहना है कि ओली की सरकार ने जनता को केवल निराश किया है।
- महँगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ाने का आरोप लगाया जा रहा है।
- विपक्षी नेताओं का कहना है कि ओली अब नैतिक रूप से प्रधानमंत्री पद पर बने रहने का अधिकार खो चुके हैं।
ओली की सफाई
प्रधानमंत्री केपी ओली ने इन आरोपों को खारिज किया है।
- उन्होंने कहा कि कुछ लोग साजिश के तहत सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं।
- ओली ने दावा किया कि उनकी सरकार विकास कार्यों और जनहित की योजनाओं पर लगातार काम कर रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी हालात का सामना करने के लिए तैयार हैं।
जनता में नाराज़गी
काठमांडू और अन्य शहरों में लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
- छात्रों और युवाओं ने बेरोजगारी को लेकर नाराज़गी जताई।
- कई स्थानों पर “ओली इस्तीफा दो” के नारे लगे।
- सोशल मीडिया पर भी #ResignOli और #NepalPoliticalCrisis ट्रेंड कर रहे हैं।
पड़ोसी देशों की नज़र
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता पर भारत और चीन समेत पड़ोसी देशों की कड़ी नज़र है।
- भारत ने कहा है कि वह नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है, लेकिन यह आंतरिक मामला है।
- चीन ने भी कहा कि नेपाल में स्थिरता जरूरी है और सभी दलों को बातचीत से समाधान निकालना चाहिए।
आगे क्या?
- यदि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाता है और सरकार अल्पमत में साबित होती है तो नेपाल में नई सरकार गठन या फिर मध्यावधि चुनाव की नौबत आ सकती है।
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओली के लिए अब स्थिति संभालना मुश्किल हो गया है।
- यह संकट नेपाल की लोकतांत्रिक स्थिरता के लिए एक और चुनौती है।
नेपाल में केपी ओली सरकार की नींव अब कमजोर हो चुकी है। तीन मंत्रियों के इस्तीफे और सहयोगी पार्टी के बाहर जाने से उनकी कुर्सी डगमगाने लगी है। संसद में संख्या बल उनके खिलाफ होता दिख रहा है और विपक्ष का हमला तेज़ हो गया है। आने वाले कुछ दिन नेपाल की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होंगे, जो तय करेंगे कि ओली प्रधानमंत्री बने रहेंगे या देश को नई सरकार की ओर देखना होगा।
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