वृंदावन (मथुरा)। उत्तर भारत में हो रही लगातार भारी बारिश के कारण यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है। मथुरा और वृंदावन के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं। हालात का जायज़ा लेने के लिए प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज स्वयं रविवार को यमुना तट पर पहुँचे। वहां उन्होंने नदी के रौद्र रूप को देखा और कहा कि यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानव की लापरवाहियों का परिणाम भी है।
यमुना का रौद्र स्वरूप
- यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
- वृंदावन में कई घाट डूब चुके हैं और मंदिरों के निचले हिस्से में पानी भर गया है।
- यमुना किनारे बसे घरों और दुकानों में भी बाढ़ का पानी घुस चुका है।
- स्थानीय प्रशासन ने खतरे की आशंका को देखते हुए निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना शुरू कर दिया है।
प्रेमानंद महाराज का निरीक्षण
- प्रेमानंद महाराज ने यमुना तट पर पहुँचकर हालात का निरीक्षण किया।
- उन्होंने कहा – “यह दृश्य देखकर मन विचलित होता है। यमुना माता का यह रूप हमें चेतावनी दे रहा है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना होगा।”
- उन्होंने भक्तों से अपील की कि संकट की इस घड़ी में सब मिलकर जरूरतमंदों की मदद करें।
- महाराज ने यह भी कहा कि वृंदावन में यमुना की स्वच्छता और संरक्षण के लिए गंभीर कदम उठाना ज़रूरी है।
भक्तों में चिंता और भय
- बाढ़ के कारण वृंदावन में आने वाले तीर्थयात्रियों और स्थानीय भक्तों में चिंता का माहौल है।
- मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना तो हो रही है, लेकिन कई धार्मिक गतिविधियाँ प्रभावित हो चुकी हैं।
- बाँके बिहारी मंदिर और प्रेम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी कमी दर्ज की जा रही है।
प्रशासन की तैयारियाँ
- जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज़ कर दिए हैं।
- NDRF और SDRF की टीमें तैनात की गई हैं।
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नावों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।
- प्रशासन ने यमुना किनारे रह रहे परिवारों को सतर्क रहने की हिदायत दी है।
वृंदावन में यमुना का रौद्र रूप देखकर संत प्रेमानंद महाराज ने साफ संदेश दिया है कि यह संकट हमें प्रकृति और आस्था के संतुलन की याद दिलाता है। यमुना के तट पर बसे भक्त अब भगवान से कृपा की प्रार्थना कर रहे हैं, वहीं प्रशासन लगातार हालात को काबू में रखने की कोशिश कर रहा है।
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