श्राद्ध विशेष पितृपक्ष में घर पर कैसे करें तर्पण? जानिए आसान और शुद्ध विधि, जो पितरों को तृप्त करती है

श्राद्ध विशेष पितृपक्ष में घर पर कैसे करें तर्पण? जानिए आसान और शुद्ध विधि, जो पितरों को तृप्त करती है

पितृपक्ष हिन्दू धर्म में एक ऐसा पवित्र समय है जब हम अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह 15 दिवसीय कालखंड भाद्रपद पूर्णिमा के बाद से अश्विन अमावस्या तक चलता है, जिसे “श्राद्ध पक्ष” या “महालय” भी कहा जाता है।

कई लोग पंडित या विधिविधान से श्राद्ध नहीं कर पाते, परंतु शास्त्रों में बताया गया है कि सच्चे मन से किया गया साधारण तर्पण भी पितरों को तृप्त करता है।
इस लेख में जानिए घर बैठे, रोज़ाना कैसे करें सरल और प्रभावी तर्पण।

श्राद्ध तर्पण के लिए आवश्यक सामग्री:

शुद्ध जल (तांबे या स्टील के लोटे में)

काले तिल (1 चम्मच)

मिश्री (थोड़ी सी)

दूध (कुछ बूंदें, ऐच्छिक)

तुलसी पत्र (यदि हो)

कुशा (कुश घास की पवित्री व लोटे में डालने हेतु)

स्वच्छ आसन (बैठने के लिए)

पीले या सफेद रंग के स्वच्छ वस्त्र

तर्पण की विधि

  1. स्नान एवं शुद्धता:

सुबह स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत चित्त से उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

  1. कुशा की अंगूठी (पवित्री) बनाएं:

ताजी कुशा से दाहिने हाथ की अनामिका (ring finger) में अंगूठी बनाकर पहनें। यह शुद्धता और आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक होती है।

  1. तर्पण जल तैयार करें:

एक लोटे में शुद्ध जल लें और उसमें काले तिल, मिश्री, कुशा के टुकड़े, तुलसी पत्र, और कुछ बूंदें दूध की मिलाएं।

  1. तर्पण करें:

लोटे से थोड़े-थोड़े जल को तीन बार इस मंत्र के साथ अर्पित करें: ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः

  1. पहली बार – पिता के लिए
  2. दूसरी बार – माता के लिए
  3. तीसरी बार – सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के लिए

हर बार जल अर्पित करते समय मन में यह भाव रखें:
“हे पितृगण! आप तृप्त हों, प्रसन्न हों और कृपा करें।”

भोजन अर्पण (यदि संभव हो):

श्राद्ध के किसी दिन (विशेषकर मृत्यु तिथि या अमावस्या को), घर में सादा सात्विक भोजन (जैसे खीर, पूड़ी, फल, दाल-चावल आदि) बनाकर बाहर छत/आंगन में कौओं, कुत्तों, गाय आदि के लिए रखें।
यह पंचबलि भोजन कहलाता है और पितरों तक अर्पण का माध्यम बनता है।

कुशा का विसर्जन कैसे करें?

हर दिन उपयोग की गई कुशा की अंगूठी को तुलसी के पौधे के पास एक साफ बर्तन में एकत्र करें

अंतिम दिन (अमावस्या को), सभी कुशाओं को एक श्वेत वस्त्र में बांधकर गंगा, यमुना या किसी बहते जल में विसर्जित करें

यदि संभव न हो, तो किसी पीपल वृक्ष की जड़ में श्रद्धापूर्वक रखें

तर्पण का भाव और महत्व

श्राद्ध सिर्फ विधि नहीं, भाव का कार्य है। अगर आप पूरे नियम, श्रद्धा और भक्ति के साथ केवल 5 मिनट भी तर्पण करते हैं, तो आपके पितृगण अवश्य तृप्त होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

✨ “श्रद्धया यत्कृतं कर्म – तेन पितरः तृप्यंति।”
(भाव से किया गया कार्य — पितरों को तृप्त करता है)

🙏🏼Satya Vachan News की अपील:

यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं ताकि हर घर में पितरों का सही स्मरण और तर्पण हो सके।
श्रद्धा है तो उपाय सरल भी है और प्रभावशाली भी।

Team Satya Vachan News
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