SMS Hospital Fire : राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित सवाई मान सिंह SMS अस्पताल में बीते 24 घंटों में 8 मरीजों की मौत ने हड़कंप मचा दिया है। यह घटना सामने आने के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गहरी चिंता जताते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के मुताबिक, रविवार देर रात से सोमवार सुबह तक SMS अस्पताल में लगातार मरीजों की मौत होती रही। मृतकों में अधिकांश गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज थे, जिन्हें ICU और इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई और दवाओं की कमी, साथ ही मशीनों में तकनीकी खराबी के कारण मरीजों की जान गई। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया है और कहा कि सभी मौतें प्राकृतिक कारणों या पुरानी बीमारियों से हुई हैं।
सरकार ने बनाई जांच कमेटी
राजस्थान सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है।
इस कमेटी में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, SMS मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और एक स्वतंत्र चिकित्सक को शामिल किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा – “हम किसी को भी बख्शेंगे नहीं। अगर लापरवाही सामने आई, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
कमेटी को 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
गहलोत ने जताई चिंता, मांगी रिपोर्ट
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा –
“जयपुर के SMS अस्पताल में 8 लोगों की मौत की खबर बेहद दुखद है। राज्य सरकार को चाहिए कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई करे।”
गहलोत ने यह भी कहा कि राजस्थान जैसे बड़े राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में लगातार सुधार की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
परिजनों का आरोप – “डॉक्टर समय पर नहीं आए”
मृतकों के परिजनों का कहना है कि मरीजों की हालत बिगड़ने के बाद भी डॉक्टर समय पर वार्ड में नहीं पहुंचे।
कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन को कई बार सूचित किया, लेकिन मदद नहीं मिली।
वीडियो फुटेज में कुछ परिजन अस्पताल के गेट पर हंगामा करते भी नजर आए।
अस्पताल के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि कोई अप्रिय स्थिति न बने।
SMS अस्पताल प्रशासन की सफाई
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मौतों का कारण लापरवाही नहीं, बल्कि मरीजों की गंभीर स्थिति और पुरानी बीमारियां हैं।
SMS के अधीक्षक ने बताया कि
“सभी मरीजों को समय पर उपचार दिया गया। ICU में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। फिर भी यदि किसी स्तर पर त्रुटि हुई होगी, तो जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।”
विपक्ष ने सरकार को घेरा
राजस्थान में विपक्ष ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि
“राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अगर 8 लोगों की मौत एक साथ होती है, तो यह प्रशासनिक विफलता है। सरकार को जवाब देना होगा।”
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के कारण आम जनता को इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
जांच रिपोर्ट के बाद तय होगी जिम्मेदारी
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्राथमिक जांच में ऑक्सीजन लाइन में प्रेशर ड्रॉप की आशंका जताई गई है, लेकिन इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।
यदि यह तकनीकी खामी साबित होती है, तो जिम्मेदार इंजीनियरिंग और सप्लाई टीम पर कार्रवाई तय है।
जनता में आक्रोश
घटना के बाद जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में जनता में नाराज़गी देखी जा रही है।
कई सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि
- मृतकों के परिजनों को आर्थिक मुआवजा दिया जाए।
- अस्पताल में उच्च स्तरीय ऑडिट सिस्टम लागू किया जाए।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की निगरानी के लिए स्वतंत्र हेल्थ कमिशन बनाया जाए।
निष्कर्ष
SMS अस्पताल में हुई 8 मौतों ने न सिर्फ प्रशासन को बल्कि पूरे राजस्थान को झकझोर दिया है।
सरकार की जांच कमेटी पर अब सबकी निगाहें हैं कि आखिर यह मौतें मानवीय लापरवाही, तकनीकी खामी या सिस्टम की कमजोरी का नतीजा हैं।
एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है —
👉 राजस्थान की स्वास्थ्य व्यवस्था आखिर कब सुधरेगी?
👉 क्या हर हादसे के बाद सिर्फ जांच कमेटी बनाना ही समाधान है?








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