Waqf Amendment Act पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान– 5 साल तक इस्लाम फॉलो करना जरूरी नहीं

Waqf Amendment Act पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान– 5 साल तक इस्लाम फॉलो करना जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई में बड़ा बयान दिया। अदालत ने साफ किया कि किसी व्यक्ति को वक्फ (Waqf) करने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि वह कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो। कोर्ट ने कहा कि वक्फ की प्रक्रिया और वैधता को धर्म पालन की अवधि से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।

क्या है मामला?

मामला वक्फ संपत्ति से जुड़ा था, जहां यह सवाल उठाया गया कि क्या कोई व्यक्ति जो हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाता है, वह वक्फ कर सकता है या नहीं।

  • याचिकाकर्ता का तर्क था कि कम से कम 5 साल तक इस्लाम का अनुयायी रहना जरूरी होना चाहिए।
  • जबकि विपक्षी पक्ष ने कहा कि इस्लाम अपनाने के तुरंत बाद भी कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:

  • वक्फ एक धार्मिक और कानूनी प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य समाज और समुदाय की भलाई करना है।
  • इसे समय-सीमा या धर्म पालन की अवधि से बांधना उचित नहीं है।
  • अगर कोई व्यक्ति इस्लाम धर्म को स्वीकार करता है, तो वह उसी दिन से वक्फ करने का अधिकार रखता है।

कोर्ट की टिप्पणी

जस्टिस की बेंच ने कहा कि वक्फ का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था नहीं बल्कि सामाजिक कल्याण भी है।

  • किसी व्यक्ति के धर्मांतरण की अवधि को आधार बनाकर उसके अधिकारों को सीमित करना संविधान की भावना के खिलाफ है।
  • वक्फ संपत्ति का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों की मदद जैसे कामों में होता है, इसलिए इसकी प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी रहना चाहिए।

वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) का संदर्भ

इस मामले में अदालत ने वक्फ संशोधन अधिनियम का भी जिक्र किया।

  • अधिनियम का मकसद वक्फ संपत्ति को विवादों से बचाना और उसका सही प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
  • कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड और प्रशासन को चाहिए कि वह वक्फ संपत्ति से जुड़े मामलों में पारदर्शिता बनाए रखे।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि वक्फ करने का अधिकार किसी व्यक्ति के इस्लाम धर्म अपनाने की अवधि पर निर्भर नहीं है। यह फैसला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता को मजबूत करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्ति का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए बिना किसी अनावश्यक बाधा के हो सके।

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