PAK सेना से छीना टैंक, सैनिकों को सड़कों पर दौड़ाया… तालिबान लड़ाकों से बुरी तरह पिटी आसिम मुनीर की आर्मी

PAK सेना से छीना टैंक, सैनिकों को सड़कों पर दौड़ाया... तालिबान लड़ाकों से बुरी तरह पिटी आसिम मुनीर की आर्मी

पाकिस्तान की सेना इन दिनों अपनी ही सीमाओं में तालिबान लड़ाकों के हाथों अपमानजनक हार झेल रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि अफगान तालिबान के लड़ाकों ने PAK सेना से छीना टैंक कई सैनिकों को बंधक बना लिया और सड़कों पर दौड़ाते हुए पीटा

ये वीडियो कथित तौर पर ड्यूरंड लाइन (Durand Line) के पास कंधार-बालुचिस्तान सीमा क्षेत्र का बताया जा रहा है, जहां पिछले कुछ दिनों से तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच हिंसक झड़पें जारी हैं। इस घटना ने पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठा को झकझोर कर रख दिया है।

कैसे छिना टैंक और हथियार? वीडियो में दिखी तबाही की तस्वीर

वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि तालिबान के लड़ाके पाकिस्तानी सेना के एक T-80 टैंक पर सवार हैं, जबकि पीछे कई पाक सैनिक हथियार डालकर भाग रहे हैं।
कुछ लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना की यूनिफॉर्म पहनी हुई है, और वे कब्जाए गए हथियारों को लहरा रहे हैं।

वीडियो में तालिबानी फाइटर कहते सुने जा सकते हैं —

“अब पाकिस्तान को समझ आ जाएगा कि अफगानिस्तान से उलझना क्या होता है।”

बताया जा रहा है कि यह हमला दक्षिणी वजीरिस्तान के पास शमान सेक्टर में हुआ, जहां अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी चौकियों पर अचानक धावा बोल दिया।
इस हमले में पाक सेना के कम से कम 18 सैनिक मारे गए, जबकि दो टैंक और चार सैन्य वाहन तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिए।

तालिबान बनाम पाकिस्तान — बढ़ा सीमा विवाद

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ड्यूरंड लाइन विवाद दशकों पुराना है।
तालिबान सरकार शुरू से ही इस सीमा को मान्यता देने से इनकार करती आई है।
पिछले कुछ हफ्तों से यह विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया है।

पाकिस्तानी सेना ने सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ खड़ी करने की कोशिश की थी, जिसे अफगान लड़ाकों ने तोड़ दिया
इसके बाद से दोनों तरफ से गोलाबारी और रॉकेट हमले हो रहे हैं।

पाकिस्तान ने दावा किया है कि अफगानिस्तान से आने वाले TTP (Tehrik-e-Taliban Pakistan) के आतंकियों को तालिबान सरकार का समर्थन मिल रहा है।
वहीं काबुल ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि —

“पाकिस्तान अपने आंतरिक आतंकवाद के लिए दूसरों को दोष दे रहा है।”

पाकिस्तानी सेना की कमजोरी उजागर

इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि पाकिस्तानी सेना का मनोबल गिर चुका है।
जनरल आसिम मुनीर के नेतृत्व में पाक सेना पहले ही बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में जारी आतंकी हमलों से परेशान है।
अब अफगान तालिबान के मोर्चे ने उसकी मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।

सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना दोहरी मार झेल रही है —

  1. आर्थिक संकट की वजह से संसाधनों की कमी,
  2. लगातार बढ़ता आतंकी दबाव

इससे पहले भी कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि पाक सैनिकों को समय पर वेतन और राशन नहीं मिल पा रहा, और उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति कमजोर हो रही है।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने बढ़ाई शर्मिंदगी

वीडियो के वायरल होते ही पाकिस्तान में जनता का गुस्सा फूट पड़ा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) और TikTok पर “#PakArmyEmbarrassed” और “#TalibanWinsAgain” जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

कई पाक नागरिकों ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा कि —

“जो सेना अपने ही देश के लोगों पर गोलियां चलाती है, वह अब तालिबान से हार रही है।”

पाकिस्तानी मीडिया ने भी इसे “राष्ट्रीय शर्म का क्षण” बताया है।
हालांकि सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि “वीडियो को संदर्भ से काटकर पेश किया गया है” और “स्थिति नियंत्रण में है।”
लेकिन स्वतंत्र पत्रकारों के अनुसार, कई चौकियों पर पाक सैनिकों को पीछे हटना पड़ा है।

तालिबान का बढ़ता आत्मविश्वास

अफगान तालिबान ने 2021 में सत्ता संभालने के बाद से लगातार यह दिखाया है कि वह किसी के दबाव में नहीं आएगा —
चाहे वो अमेरिका हो या पाकिस्तान।

अब तालिबान ने खुलकर कहा है कि —

“हम किसी भी देश से आदेश नहीं लेंगे। हमारी भूमि हमारी है।”

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस घटना पर कहा —

“हमारी सीमा पर किसी की मनमानी नहीं चलेगी। अगर पाकिस्तान हमारी संप्रभुता का उल्लंघन करेगा, तो जवाब मिलेगा।”

यह बयान पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका साबित हुआ है, क्योंकि वही पाकिस्तान था जिसने कभी तालिबान को समर्थन देकर काबुल में उसकी सरकार बनाने में मदद की थी।

पाकिस्तान का आर्थिक संकट बना सुरक्षा के लिए खतरा

IMF के दबाव, डॉलर की कमी, और राजनीतिक अस्थिरता के बीच पाकिस्तान का रक्षा बजट बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
विश्लेषकों का कहना है कि सीमाई संघर्षों के बीच भी सेना के पास ईंधन, गोला-बारूद और स्पेयर पार्ट्स की कमी है।

हाल में सऊदी अरब और कतर से मदद मांगने के बावजूद अब तक कोई ठोस सहायता नहीं मिली है।
इस कारण पाकिस्तान सीमा पर अपनी पकड़ बनाए रखने में नाकाम हो रहा है।

विशेषज्ञों की राय

इस्लामाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इमरान हैदर का कहना है —

“तालिबान अब सिर्फ एक मिलिशिया नहीं बल्कि एक संगठित सैन्य शक्ति बन चुका है। पाकिस्तान उसे अब कमज़ोर आंकने की गलती नहीं कर सकता।”

वहीं काबुल स्थित विश्लेषक अब्दुल रशीद अंसारी ने कहा —

“पाकिस्तान की सेना अब रक्षात्मक मोड में है। अगर यह स्थिति और बढ़ी, तो तालिबान सीमाई इलाकों में स्थायी नियंत्रण की कोशिश कर सकता है।”

निष्कर्ष: पाकिस्तान की प्रतिष्ठा पर गहरा धक्का

अफगान सीमा पर तालिबान के साथ संघर्ष ने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक साख दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एक समय जो देश तालिबान का संरक्षक कहलाता था, आज उसी तालिबान से हारता और शर्मिंदा होता दिखाई दे रहा है।

जनरल आसिम मुनीर के लिए यह हालात राजनीतिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर संकट बन गए हैं।
अगर पाकिस्तान ने जल्दी स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया, तो यह संघर्ष उसके अंदरूनी विभाजन और विद्रोह का कारण बन सकता है।

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