Trump On Russian Oil: ट्रंप बोले- भारत ने रूसी तेल खरीद में की पूरी कटौती, चीन पर भी दिया बड़ा बयान

Trump On Russian Oil: ट्रंप बोले- भारत ने रूसी तेल खरीद में की पूरी कटौती, चीन पर भी दिया बड़ा बयान

Trump On Russian Oil: ट्रंप ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाया बैन, बोले- भारत ने रूसी तेल आयात पूरी तरह बंद किया; भारत ने किया खंडन

अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (25 अक्टूबर 2025) को एक बड़ा ऐलान किया। ट्रंप प्रशासन ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर कड़े आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं। इस ऐलान के साथ ही ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अब रूस से तेल आयात को पूरी तरह रोक दिया है, जो अमेरिका के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है।

हालांकि, भारत ने तुरंत ही ट्रंप के इस दावे को गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत की तेल खरीद का निर्णय पूरी तरह राष्ट्रीय हितों पर आधारित है और किसी भी बाहरी दबाव या राजनीतिक प्रभाव से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

रूस पर ट्रंप प्रशासन की नई कार्रवाई

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा —

“रूस की तेल कंपनियां उसके युद्ध तंत्र को फंड कर रही हैं। अमेरिका इन कंपनियों के खिलाफ कड़े कदम उठा रहा है ताकि रूस को उसके ऊर्जा क्षेत्र से होने वाले लाभ से वंचित किया जा सके।”

ट्रंप प्रशासन ने जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें प्रमुख बिंदु शामिल हैं —

  • अमेरिका में रोसनेफ्ट और लुकोइल की सभी संपत्तियों को फ्रीज करना
  • अमेरिकी नागरिकों और संस्थाओं को इन कंपनियों के साथ किसी भी वित्तीय या व्यापारिक लेनदेन से रोकना
  • वैश्विक साझेदार देशों से इन कंपनियों से दूरी बनाए रखने की अपील करना

अमेरिकी वित्त विभाग के मुताबिक, यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रहार है क्योंकि रोसनेफ्ट और लुकोइल रूस के कुल तेल निर्यात का करीब 45 प्रतिशत नियंत्रित करती हैं।

भारत ने ट्रंप के दावों को किया खारिज

भारत ने ट्रंप के बयान के तुरंत बाद अपने रुख को साफ करते हुए कहा कि रूस से तेल खरीदना उसकी ऊर्जा सुरक्षा नीति का हिस्सा है।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —

“भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए निर्णय लेता है। जब तक संयुक्त राष्ट्र (UN) के स्तर पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, तब तक किसी देश को यह अधिकार नहीं कि वह हमें यह बताए कि हमें किससे खरीद करनी चाहिए।”

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि सस्ते तेल की आपूर्ति उसकी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है।
ऊर्जा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा —

“हमारे लिए यह जरूरी है कि हमें सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति मिलती रहे। रूस से आयात जारी रहेगा क्योंकि यह भारत के आर्थिक हितों के अनुरूप है।”

आंकड़े क्या कहते हैं?

ट्रंप के दावे के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसियों के आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हैं।
Vortexa Energy Report (सितंबर 2025) के अनुसार —

  • भारत ने रूस से 15 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया।
  • रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो सऊदी अरब और इराक दोनों से आगे है।
  • भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल को खरीदकर प्रोसेस करती हैं और फिर कई देशों को परिष्कृत उत्पाद के रूप में निर्यात भी करती हैं।

इससे साफ है कि ट्रंप का यह दावा कि “भारत ने रूसी तेल खरीद पूरी तरह रोक दी है”, तथ्यात्मक रूप से गलत है।

भारत का स्पष्ट संदेश — राष्ट्रीय हित सर्वोपरि

भारत ने बार-बार दोहराया है कि उसकी विदेशी नीति और ऊर्जा रणनीति स्वतंत्र और स्वदेश-हित आधारित है।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा —

“भारत अपने नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। हम किसी एक देश या समूह के प्रभाव में आकर निर्णय नहीं लेते।”

यह बयान भारत के उस दीर्घकालिक रुख की पुष्टि करता है, जिसमें वह किसी भी वैश्विक गठजोड़ का अंधानुकरण करने की बजाय अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।

रूस के लिए झटका

रूस की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा तेल निर्यात पर निर्भर है। रोसनेफ्ट और लुकोइल जैसी कंपनियां रूस के विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख स्रोत हैं।
अमेरिका के इन प्रतिबंधों से रूस को अल्पकालिक आर्थिक झटका लग सकता है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि रूस अब भी चीन और भारत जैसे देशों के जरिए अपने तेल की बिक्री जारी रख सकता है।

ट्रंप की अगली चाल — चीन पर नजर

ट्रंप ने अपने बयान में चीन का भी जिक्र किया और कहा कि वह दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली मुलाकात में एक व्यापक व्यापार समझौता करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा —

“हम फेंटेनाइल ड्रग और कृषि व्यापार पर बात करेंगे। चीन से आने वाला फेंटेनाइल अमेरिका में हजारों लोगों की जान ले रहा है। यह अब खत्म होना चाहिए।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी व्यापार, सेमीकंडक्टर सप्लाई और कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर तनाव चरम पर है।

विशेषज्ञों की राय — ट्रंप का बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा

विदेश नीति विश्लेषकों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के रूस और भारत को लेकर दिए गए बयान अमेरिकी चुनावी राजनीति का हिस्सा हैं।
वे रूस पर कठोर रुख और चीन पर सख्त नीति दिखाकर घरेलू वोट बैंक को साधना चाहते हैं।
भारत को लेकर उनका बयान अमेरिका-भारत साझेदारी की “सकारात्मक कहानी” दिखाने का प्रयास माना जा रहा है, हालांकि यह आंकड़ों और तथ्यों से मेल नहीं खाता

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का दावा कि “भारत ने रूसी तेल आयात पूरी तरह बंद कर दिया है”, वास्तविकता से दूर है।
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने हितों के अनुसार ही ऊर्जा खरीद का फैसला करेगा।
अमेरिका द्वारा रूस की तेल कंपनियों पर लगाया गया प्रतिबंध वैश्विक तेल बाजार को हिला सकता है, लेकिन भारत की स्थिति साफ है

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