वैश्विक कृषि बाज़ार में एक बड़ा भूचाल देखने को मिल रहा है। अमेरिका के मक्का – सोयाबीन के लिए सबसे बड़े खरीदार देश अब नई रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं। चीन, रूस, ब्राजील और भारत ने मिलकर ऐसा कदम उठाया है जिसने न सिर्फ अमेरिकी किसानों की नींद उड़ा दी है, बल्कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
No takers for American Corn & Soybean ! India & China along with Russia & Brazil should drag Trump a little longer ! He will fold ! pic.twitter.com/16471WNCKu
— Navroop Singh (@TheNavroopSingh) September 28, 2025
अमेरिकी कृषि निर्यात पर संकट
अमेरिका लंबे समय से मक्का और सोयाबीन का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है।
- चीन, ब्राजील और भारत जैसे देश अमेरिकी अनाज खरीदते रहे हैं।
- लेकिन अब इन देशों ने नई सप्लाई चेन बनानी शुरू कर दी है।
- रूस और ब्राजील जैसे देश खुद बड़े पैमाने पर सोयाबीन और मक्का उत्पादन कर रहे हैं।
इस बदलाव का सीधा असर अमेरिका के बिलियन्स डॉलर के एक्सपोर्ट मार्केट पर पड़ सकता है।
नई वैश्विक साझेदारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने रूस और ब्राजील से बड़े पैमाने पर अनाज खरीदने का करार किया है।
- भारत भी अपने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ सस्ते विकल्प तलाश रहा है।
- ब्राजील पहले ही दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन निर्यातक बन चुका है।
- रूस ने यूक्रेन युद्ध के बाद कृषि उत्पादन में भारी निवेश किया है।
इस गठजोड़ से अमेरिकी अनाज की डिमांड कम होती जा रही है।
ट्रंप पर उठ रहे सवाल
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन और अन्य देशों पर उच्च टैरिफ और व्यापारिक पाबंदियां लगाई थीं।
- इसका नतीजा यह हुआ कि चीन ने विकल्प ढूंढना शुरू कर दिया।
- अब स्थिति यह है कि अमेरिकी किसानों की पैदावार का बड़ा हिस्सा अनबिके स्टॉक के रूप में पड़ा है।
- ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” नारे की वजह से आज अमेरिका का कृषि निर्यात संकट में है।
किसानों की मुश्किलें
अमेरिकी किसानों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट से उनकी कमाई आधी हो गई है।
- सोयाबीन और मक्का की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर गिर चुकी हैं।
- कई किसानों ने सरकार से सब्सिडी और राहत पैकेज की मांग की है।
- वहीं, चीन और रूस जैसे देशों ने अमेरिका को साफ संदेश दिया है कि वे अब “आत्मनिर्भर और वैकल्पिक सप्लायरों” पर भरोसा करेंगे।
भारत की भूमिका
भारत ने हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में भारी निवेश किया है।
- सरकार ने सोयाबीन और मक्का उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई नीतियां लागू की हैं।
- भारत अब केवल उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि निर्यातक बनने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।
- इससे अमेरिकी अनाज पर भारत की निर्भरता कम होगी।
निष्कर्ष
चीन, रूस, ब्राजील और भारत की साझेदारी ने अमेरिकी कृषि बाज़ार की कमर तोड़ दी है।
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां अब उन्हीं के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर सकती हैं। आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि अमेरिका अपनी कृषि रणनीति में कैसे बदलाव करता है, क्योंकि मौजूदा हालात में उसके लिए सबसे बड़ा सवाल यही है—
“कौन खरीदेगा अमेरिकी मक्का और सोयाबीन?
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