उद्धव ठाकरे का निशाना शिंदे पर, लेकिन BJP को क्यों बना रहे हैं दुश्मन?
मुंबई, 3 अक्टूबर: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल ही में एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला बोला, जो कहीं न कहीं समझ में आता है — आखिर उन्हीं की पार्टी को तोड़कर शिंदे ने सत्ता में एंट्री ली थी। लेकिन जिस अंदाज़ में उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर फिर से निशाना साधा है, उसने सियासी हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
क्या यह नाराज़गी केवल पुराने गठबंधन टूटने की टीस है, या कोई नई रणनीति आकार ले रही है?
शिंदे से नाराज़गी स्वाभाविक, लेकिन BJP क्यों निशाने पर?
एकनाथ शिंदे पर उद्धव ठाकरे की नाराज़गी बिलकुल स्वाभाविक है। शिवसेना का विभाजन और सरकार गिरने के बाद से ठाकरे लगातार शिंदे को “गद्दार” बताते रहे हैं। लेकिन अब जब शिंदे खुद मुख्यमंत्री हैं और BJP की मदद से सत्ता चला रहे हैं, तो ठाकरे की असली लड़ाई शिंदे से ज़्यादा BJP से होती दिख रही है।
BJP पर हमला: भावनात्मक राजनीति या चुनावी तैयारी?
उद्धव ठाकरे का BJP के खिलाफ आक्रामक रुख केवल वैचारिक विरोध तक सीमित नहीं है। 2019 में शिवसेना-BJP का गठबंधन टूटने के बाद से ठाकरे लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि BJP सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकती है — यहां तक कि अपने पुराने सहयोगियों को भी दरकिनार कर सकती है।
2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं, और महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA) को फिर से खड़ा करने की कोशिशें जारी हैं। ऐसे में BJP पर हमला करना राजनीतिक रूप से फायदेमंद रणनीति भी बन सकता है।
MVA गठबंधन को मजबूती देने की कोशिश
BJP पर हमलावर रहकर उद्धव ठाकरे, कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) के साथ अपने रिश्तों को और मज़बूत कर रहे हैं। तीनों दलों की साझा दुश्मन BJP है, और ऐसे में ठाकरे का ये रुख MVA की एकता का सार्वजनिक प्रदर्शन भी हो सकता है।
इसके साथ ही उद्धव समर्थक मतदाताओं को यह दिखाना भी ज़रूरी है कि वे केवल शिंदे नहीं, बल्कि उसे सत्ता में लाने वाली ताकतों से भी लड़ रहे हैं।
हालिया बयान और तीखे शब्द
ठाकरे ने हाल ही में अपने भाषण में कहा,
“शिवसेना को तोड़ने वालों को सत्ता मिली, लेकिन आत्मा खो दी। BJP ने गद्दारों को गले लगाया, ये उनकी नीति का आईना है।”
ऐसे बयानों से स्पष्ट है कि उद्धव सिर्फ पार्टी विभाजन नहीं, बल्कि BJP की भूमिका को भी मुद्दा बनाकर पेश कर रहे हैं।
जनता की नब्ज़ टटोलने की कोशिश
BJP के खिलाफ आक्रामक होकर ठाकरे यह भी परखना चाहते हैं कि महाराष्ट्र में जनता का मूड क्या है। क्या मतदाता शिंदे-BJP गठबंधन से नाराज़ हैं? क्या मराठी अस्मिता और “मूल शिवसेना” की भावना को फिर से जगा सकते हैं? ये सभी सवाल उद्धव ठाकरे की रणनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।










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