नए परमाणु हथियार बनाएगा रूस? डोनाल्ड ट्रंप को दिया करारा झटका — अमेरिका के साथ प्लूटोनियम समझौता रद्द

नए परमाणु हथियार बनाएगा रूस? डोनाल्ड ट्रंप को दिया करारा झटका — अमेरिका के साथ प्लूटोनियम समझौता रद्द

दुनिया एक बार फिर परमाणु तनाव की दिशा में बढ़ती दिख रही है। रूस ने अमेरिका के साथ हुआ प्लूटोनियम निपटान समझौता (Plutonium Disposition Agreement) रद्द करने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद रूस अब अपने हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उपयोग नए परमाणु हथियारों के निर्माण में कर सकता है। यह कदम सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के लिए एक करारा झटका माना जा रहा है।

क्या है प्लूटोनियम समझौता?

यह समझौता वर्ष 2000 में अमेरिका और रूस के बीच हुआ था। इसका उद्देश्य था कि दोनों देश अपने हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम के एक हिस्से को परमाणु हथियारों में दोबारा उपयोग करने के बजाय शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए निष्क्रिय (D ispose) करेंगे।
दोनों देशों ने लगभग 34 टन प्लूटोनियम नष्ट करने पर सहमति जताई थी, जिससे सैकड़ों परमाणु बमों के बराबर सामग्री निष्क्रिय हो जाती।

लेकिन अब रूस ने इस समझौते से हटने की घोषणा करते हुए कहा है कि “अमेरिका ने बार-बार की गई प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया और परमाणु हथियारों को लेकर दोहरे मानदंड अपनाए।”

रूस का आरोप: अमेरिका ने समझौते का उल्लंघन किया

रूसी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि अमेरिका ने समझौते में तय शर्तों को पूरी तरह से बदल दिया और प्लूटोनियम नष्ट करने की प्रक्रिया में तकनीकी बदलाव कर दिए।
रूस का दावा है कि अमेरिका ने जो नई तकनीक अपनाई, उससे प्लूटोनियम पूरी तरह निष्क्रिय नहीं होता, बल्कि भविष्य में फिर से हथियारों में उपयोग किया जा सकता है।

रूस ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका अपने न्यूक्लियर स्टॉकपाइल को कम करने की बजाय लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है, जिससे वैश्विक परमाणु संतुलन खतरे में पड़ सकता है।

पुतिन ने दी सख्त चेतावनी

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस अब अपने परमाणु संसाधनों का “राष्ट्रीय सुरक्षा” के लिए उपयोग करेगा। उन्होंने कहा:

“जब तक अमेरिका हमारे खिलाफ प्रतिबंधों की नीति अपनाता रहेगा और वैश्विक हथियार नियंत्रण संधियों का उल्लंघन करता रहेगा, तब तक रूस अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।”

पुतिन के इस बयान को विश्लेषक एक नई परमाणु शीत युद्ध की शुरुआत के संकेत के रूप में देख रहे हैं।

अमेरिका की प्रतिक्रिया

व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि रूस का यह कदम “गंभीर गलती” है।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा,

“रूस अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण समझौतों को तोड़कर वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल रहा है। अमेरिका अब अपने और सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।”

ट्रंप प्रशासन पहले ही रूस पर कई आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगा चुका है, और इस नई घोषणा से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है।

क्या फिर लौटेगा शीत युद्ध जैसा माहौल?

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला परमाणु हथियारों की दौड़ को फिर से तेज कर सकता है।

  • रूस पहले ही हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम “Avangard” और न्यूक्लियर-ड्रोन “Poseidon” जैसी आधुनिक प्रणालियाँ विकसित कर चुका है।
  • अब अगर रूस प्लूटोनियम का उपयोग नए परमाणु हथियारों में करता है, तो यह अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो देशों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम वैश्विक परमाणु अप्रसार (Non-Proliferation) प्रयासों के लिए भी खतरा है।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत और रूस के बीच लंबे समय से रणनीतिक और रक्षा संबंध हैं।
भारत ने अभी हाल ही में रूस के साथ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है।
हालांकि भारत दोनों महाशक्तियों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेगा, क्योंकि अमेरिका भी भारत का अहम सहयोगी देश है।

रक्षा विश्लेषक मेजर जनरल आर.के. सिन्हा (रिटायर्ड) के अनुसार:

“भारत के लिए यह स्थिति कूटनीतिक चुनौती है। अगर रूस नए परमाणु हथियार बनाता है, तो अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा और भारत को अपने रणनीतिक हितों को बेहद सावधानी से साधना होगा।”

पिछले कुछ महीनों से बढ़ा है तनाव

  • रूस ने हाल ही में न्यू स्टार्ट ट्रीटी (New START Treaty) के भविष्य को लेकर भी सवाल उठाए थे।
  • अमेरिका ने रूस पर “वैश्विक स्थिरता को अस्थिर करने वाले कदम” उठाने का आरोप लगाया था।
  • दोनों देशों के बीच यूक्रेन, मध्य एशिया और अब परमाणु नीति पर गहरे मतभेद हैं।

निष्कर्ष

रूस द्वारा अमेरिका के साथ प्लूटोनियम समझौते को रद्द करना वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंताजनक संकेत है।
जहां एक ओर दुनिया परमाणु हथियारों में कटौती की ओर बढ़ने की उम्मीद कर रही थी, वहीं अब यह कदम एक नए परमाणु युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के बीच बढ़ता यह तनाव आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हथियार नियंत्रण और वैश्विक शांति प्रयासों पर बड़ा असर डाल सकता है।

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