बिहार ओपिनियन पोल: नीतीश की पार्टी और तेजस्वी की सीटों का हाल

Bihar Assembly Elections: नीतीश की पार्टी और तेजस्वी की सीटों का हाल

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों ने पूरे राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। अब चंद माह ही बचे हैं, और सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी हैं। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से सरकार बनाने के लिए 122 सीटों पर बहुमत होना आवश्यक है। इस बीच एक नया बिहार ओपिनियन पोल सामने आया है, जो राज्य की सियासी तस्वीर को पूरी तरह बदल सकता है।

ताजा सर्वे: एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला

टाइम्स नाऊ और जेवीसी के ताजा ओपिनियन पोल के अनुसार:

  • नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) को 130 से 150 सीटों के बीच मिलने की संभावना है।
  • भाजपा अकेले 66 से 77 सीटें जीत सकती है।
  • जनता दल यूनाइटेड (JDU) को 52 से 58 सीटें मिलने के अनुमान हैं।
  • एनडीए के अन्य सहयोगी दलों को 13 से 15 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।

वहीं, महागठबंधन (तेजस्वी यादव नेतृत्व) की स्थिति कुछ इस प्रकार है:

  • महागठबंधन कुल 81 से 103 सीटें जीत सकता है।
  • राजद अकेले 57 से 71 सीटें जीत सकती है।
  • कांग्रेस को 11 से 14 सीटें मिल सकती हैं।
  • महागठबंधन के अन्य सहयोगियों को 13 से 18 सीटों का अनुमान है।

इस सर्वे के आंकड़े साफ दिखाते हैं कि मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है, लेकिन इस बार प्रशांत किशोर की एंट्री ने चुनावी परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया है।

‘जन सुराज’ की एंट्री: गेम चेंजर बन सकती है

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार उतरी प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ बड़े बदलाव की उम्मीद जगा रही है।

  • सर्वे के अनुसार 4-6 सीटें जन सुराज जीत सकती है।
  • यह चुनाव में पार्टियों के लिए किंग मेकर की भूमिका निभा सकती है।
  • प्रशांत किशोर की रणनीति और लोकल एजेंडा इसे अन्य दलों के लिए चुनौतीपूर्ण बना रहा है।

ओवैसी और मायावती की स्थिति

इस बार की राजनीतिक तस्वीर में AIMIM और BSP भी नजर रख रहे हैं।

  • ओवैसी की AIMIM और मायावती की BSP, साथ ही अन्य छोटे दल मिलकर 5-6 सीटें जीत सकते हैं।
  • यह संख्या 2020 के मुकाबले AIMIM की स्थिति को दर्शाती है, जब उन्होंने 5 सीटें जीती थीं।
  • हालांकि इस बार उनका ग्राफ थोड़ा लुढ़कता दिख रहा है, फिर भी छोटी पार्टियों की भूमिका अहम हो सकती है।

बिहार की चुनावी तस्वीर

  • मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है।
  • भाजपा और JDU की मजबूत पकड़ है, लेकिन गठबंधन की सीटें भी किसी भी वक्त बदल सकती हैं।
  • प्रशांत किशोर की रणनीति और जन सुराज की एंट्री ने चुनाव को और अधिक दिलचस्प और अप्रत्याशित बना दिया है।
  • राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जन सुराज की जीत एनडीए या महागठबंधन के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 न सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच निर्णायक होगा, बल्कि प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ भी चुनाव की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है। छोटी पार्टियों की भूमिका, राजनीतिक गठबंधनों की रणनीति और जनता की प्रतिक्रिया इस चुनाव को इतिहास रचने वाला बना सकती है।

इस चुनावी जंग में अब हर सीट की लड़ाई निर्णायक साबित होगी और देखना दिलचस्प होगा कि कौन बनता है बिहार का नया शासक।

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