CM Helpline पर ब्लैकमेलिंग का खेल! सरकार का बड़ा फरमान, अब झूठी शिकायत करने वालों की बनेगी ब्लैकलिस्ट”

CM Helpline पर ब्लैकमेलिंग का खेल! सरकार का बड़ा फरमान, अब झूठी शिकायत करने वालों की बनेगी ब्लैकलिस्ट"

CM Helpline को आम जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन अब यह मंच कुछ असामाजिक तत्वों के लिए ब्लैकमेलिंग और निजी दुश्मनी निकालने का हथियार बनता जा रहा है। सरकार ने इस गंभीर मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए अब झूठी शिकायतें करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का ऐलान किया है।

सरकार का सख्त आदेश: “झूठी शिकायत = ब्लैक लिस्ट”

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब से जो भी व्यक्ति जानबूझकर झूठी या भ्रामक शिकायत दर्ज करेगा, उसका नाम ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाला जाएगा। ऐसे लोगों की शिकायतों को भविष्य में स्वीकार नहीं किया जाएगा और आवश्यक होने पर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

सूत्रों के अनुसार, कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ कुछ शिकायतकर्ता अधिकारियों से निजी लाभ के लिए मनगढ़ंत आरोप लगाकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। इससे न केवल सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है, बल्कि असली शिकायतों की जांच में भी देरी होती है।

कैसे होगी पहचान?

  • प्रत्येक शिकायत की होगी सत्यता की जाँच
  • जानबूझकर गुमराह करने की प्रथम बार चेतावनी, दूसरी बार ब्लैक लिस्टिंग
  • झूठी शिकायत करने पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 182 और 211 के तहत कार्रवाई संभव

CM Helpline का उद्देश्य हो रहा है क्षीण?

जनता की आवाज़ को सीधे सरकार तक पहुँचाने के उद्देश्य से शुरू हुई CM हेल्पलाइन पर अब सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जब असली समस्याओं की बजाय झूठे केस बढ़ने लगते हैं, तो सिस्टम की प्रभावशीलता खत्म होती है।

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,

“हम चाहते हैं कि हर नागरिक को न्याय मिले, लेकिन जब कोई सिस्टम का दुरुपयोग करता है, तो वह समाज और शासन—दोनों के खिलाफ अपराध करता है।”

क्या कहती है जनता?

जहाँ एक ओर आम लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे शिकायत दर्ज करने की आज़ादी पर हमला मान रहे हैं। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस नीति का उद्देश्य किसी को डराना नहीं, बल्कि सिस्टम की शुचिता बनाए रखना है।

Satyavachan की राय:

जनहित के नाम पर शुरू की गई योजनाएं जब निजी स्वार्थ और ब्लैकमेलिंग का ज़रिया बन जाएँ, तो सुधारात्मक कदम ज़रूरी हो जाते हैं। झूठी शिकायतों पर लगाम लगाने की यह नीति भले ही सख्त हो, लेकिन अगर इसे निष्पक्ष तरीके से लागू किया गया, तो इससे केवल वही लोग प्रभावित होंगे जो सच्चाई से कोसों दूर हैं।

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