उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में देर रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। अचानक हुई इस आपदा में कई घर मलबे में दब गए और कई वाहन बह गए। नदी-नाले उफान पर हैं और सड़कों पर जगह-जगह भूस्खलन से आवागमन ठप हो गया है। प्रशासन ने आपात स्थिति की घोषणा कर दी है और राहत-बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
भीषण तबाही के हालात
- बादल फटने की घटना देहरादून जिले के पहाड़ी इलाकों में हुई।
- कई गांवों में पानी और मलबा घुसने से लोग घरों में फंस गए।
- दर्जनों मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं और खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं।
- स्थानीय लोगों के मुताबिक, मलबे के तेज बहाव में कई मवेशी और गाड़ियां बह गईं।
रेस्क्यू एजेंसियां मोर्चे पर
घटना की जानकारी मिलते ही NDRF, SDRF और पुलिस प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं
सीएम पुष्कर सिंह धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा दुख जताया और कहा:
“देहरादून में बादल फटने से हुई तबाही की जानकारी मिलते ही प्रशासन और राहत एजेंसियां मोर्चे पर जुट गई हैं। मैं हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हूं। प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद की जाएगी।”
सीएम ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि बचाव कार्य में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए और प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता दी जाए।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों तक प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं की संभावना जताई है।
- देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिलों में अलर्ट जारी किया गया है।
- लोगों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।
स्थानीय लोगों की परेशानी
देहरादून और आसपास के गांवों में रहने वाले लोग दहशत में हैं।
- कई परिवार खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं।
- सड़कों और पुलों के टूटने से संपर्क व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
- बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में दिक्कतें आ रही हैं।
निष्कर्ष
देहरादून में बादल फटने की यह घटना फिर से याद दिलाती है कि उत्तराखंड जैसी संवेदनशील जगहों पर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत रणनीति और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। प्रशासन और रेस्क्यू एजेंसियां लगातार काम कर रही हैं, लेकिन आने वाले दिनों में और सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।








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