बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्माने लगी है। जेडीयू (JDU) के भीतर इस बार चर्चा किसी नेता की बयानबाज़ी को लेकर नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के भीतर निशांत कुमार को आगामी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है।
इस चर्चा के साथ ही बिहार की सियासत में नए समीकरण बनने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
राजनीतिक मैदान में उतर सकते हैं निशांत कुमार
नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार अब तक सक्रिय राजनीति से दूर रहे हैं। वे आमतौर पर सार्वजनिक मंचों पर नहीं दिखते, और मीडिया की सुर्खियों से भी दूरी बनाए रखते हैं।
लेकिन अब पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से खबर है कि JDU की रणनीतिक टीम आने वाले चुनावों में उन्हें एक “नई और युवा छवि” के रूप में पेश करने पर विचार कर रही है।
पार्टी मानती है कि 73 वर्षीय नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है, और अब संगठन को एक “नई पीढ़ी का चेहरा” चाहिए, जो भविष्य में पार्टी की पहचान बने।
इसलिए निशांत कुमार को राजनीति में लाने की कोशिश तेज़ हो गई है
कौन-सी सीट पर हो रही चर्चा?
सबसे ज्यादा चर्चा नालंदा लोकसभा सीट की हो रही है — जो नीतीश कुमार का गृहनगर और राजनीतिक गढ़ माना जाता है।
यह सीट हमेशा से जेडीयू के लिए मजबूत मानी जाती है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि अगर निशांत को राजनीति में लॉन्च करना है, तो नालंदा से बेहतर कोई जगह नहीं।
हालांकि कुछ सूत्र यह भी बता रहे हैं कि पार्टी उन्हें बिहार विधान परिषद (MLC) से राजनीति की शुरुआत करा सकती है, ताकि उन्हें अनुभव और संगठनात्मक समझ हासिल करने का समय मिल सके।
JDU बैठक में बड़ा ऐलान संभव
जानकारी के मुताबिक, आने वाले दिनों में जेडीयू की अहम बैठक पटना में होने वाली है, जिसमें संगठन और चुनावी रणनीति पर चर्चा होगी।
यही बैठक अब चर्चा में है, क्योंकि पार्टी के कई पदाधिकारी इस बात के संकेत दे रहे हैं कि “इस बार कुछ बड़ा होने वाला है।”
संकेत साफ हैं — नीतीश कुमार अपने बेटे निशांत को राजनीति में औपचारिक तौर पर लाने का ऐलान कर सकते हैं।
नीतीश कुमार की ‘साइलेंट प्लानिंग’
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार अपने फैसले हमेशा सोच-समझकर और आखिरी वक्त में लेते हैं।
उनके बेटे को राजनीति में लाना भी कोई जल्दबाजी में लिया गया कदम नहीं होगा, बल्कि यह लंबी रणनीति का हिस्सा है।
दरअसल, जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद नेतृत्व को लेकर कोई स्पष्ट चेहरा नहीं दिखता।
पार्टी को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो नीतीश की विरासत को आगे बढ़ा सके और संगठन में संतुलन बनाए रखे।
इस लिहाज से निशांत कुमार का राजनीति में आना एक स्वाभाविक कदम माना जा रहा है।
कौन हैं निशांत कुमार?
निशांत कुमार पेशे से इंजीनियर हैं और काफी समय से पारिवारिक व्यवसाय और निजी जीवन में व्यस्त रहे हैं।
वे राजनीतिक रूप से लो-प्रोफाइल रहे हैं, लेकिन उन्हें नीतीश कुमार का सबसे भरोसेमंद और शांत स्वभाव वाला उत्तराधिकारी माना जाता है।
उनकी छवि एक सॉफ्ट-स्पोकन, नॉन-कॉन्ट्रोवर्शियल और विज़नरी व्यक्ति की बताई जाती है, जो नीतीश कुमार की राजनीति की “विकास और सुशासन” वाली लाइन को आगे बढ़ा सकते हैं।
JDU में अंदरूनी राय बंटी हुई
हालांकि जेडीयू के सभी नेता निशांत को राजनीति में लाने के पक्ष में नहीं हैं।
कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी को वंशवाद की राजनीति से दूर रहना चाहिए, जबकि अन्य का तर्क है कि अगर वह योग्य और सक्षम हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं।
एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा —
“पार्टी को एक स्थायी चेहरा चाहिए। अगर निशांत जी राजनीति में आते हैं, तो यह संगठन के लिए नई ऊर्जा लेकर आएगा।”
राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल
इस खबर के सामने आते ही विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है।
राजद (RJD) नेताओं ने तंज कसते हुए कहा कि “नीतीश जी भी अब परिवारवाद के रास्ते पर चल पड़े हैं।”
वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह JDU की अंदरूनी कमजोरी को दिखाता है, जहां नए नेतृत्व की कमी साफ नजर आ रही है।
हालांकि, जेडीयू प्रवक्ताओं ने साफ किया है कि “निशांत कुमार का राजनीति में आना पार्टी का आंतरिक मामला है, और इस पर कोई भी फैसला उचित समय पर होगा।”
नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी की तलाश पूरी होगी?
नीतीश कुमार लंबे समय से यह कहते आए हैं कि उन्हें सत्ता या पद से कोई मोह नहीं है।
लेकिन अब लगता है कि वे अपनी राजनीतिक विरासत को सुरक्षित हाथों में सौंपना चाहते हैं।
निशांत कुमार के राजनीति में आने से न केवल जेडीयू को एक नया चेहरा मिलेगा, बल्कि बिहार की राजनीति में भी एक नई कहानी की शुरुआत हो सकती है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में जहां हर दिन एक नया मोड़ आता है, वहीं नीतीश कुमार के बेटे निशांत की एंट्री सबसे बड़ा “गेम चेंजर” साबित हो सकती है।
अगर JDU की बैठक में इस पर आधिकारिक मुहर लगती है, तो यह न सिर्फ पार्टी बल्कि पूरे बिहार के राजनीतिक समीकरण को बदल देगा।
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