अशोक चौधरी पर आरोपों से नीतीश कुमार पर बढ़ा दबाव, अब उपेंद्र कुशवाहा ने दिया बड़ा बयान

अशोक चौधरी पर आरोपों से नीतीश कुमार पर बढ़ा दबाव, अब उपेंद्र कुशवाहा ने दिया बड़ा बयान

टना: बिहार की राजनीति में इन दिनों अशोक चौधरी पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर हलचल मची हुई है। राज्य के पूर्व मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी पर लगे कथित भ्रष्टाचार और जमीन घोटाले के आरोपों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है। अब इस मुद्दे पर जेडीयू के बागी नेता और राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का तीखा बयान सामने आया है, जिससे राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है।

क्या हैं आरोप?

सूत्रों के अनुसार अशोक चौधरी पर सरकारी जमीन के आवंटन में अनियमितता, पद का दुरुपयोग और निजी लाभ के लिए नियमों को ताक पर रखने के आरोप हैं। विपक्षी दल लगातार इन मामलों की जांच की मांग कर रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा का बयान:

उपेंद्र कुशवाहा ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वाकई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे हैं, तो उन्हें अशोक चौधरी पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। चुप रहना उन्हें ही कठघरे में खड़ा करता है।”

उन्होंने आगे कहा कि जेडीयू में भ्रष्टाचार पर दोहरी नीति अपनाई जा रही है — जब कोई आम नेता फंसता है, तो कार्रवाई होती है, लेकिन जब कोई खास चेहरा सवालों के घेरे में आता है, तो पार्टी चुप्पी साध लेती है।

नीतीश पर बढ़ा दबाव:

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए नई मुसीबत बन सकता है। एक ओर वे NDA में अपनी साख बनाए रखने की कोशिश में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर जेडीयू के भीतर और बाहर से चौधरी को लेकर उठते सवाल उनकी “सुशासन बाबू” की छवि पर असर डाल सकते हैं।

विपक्षी पार्टी RJD और कांग्रेस ने भी अशोक चौधरी के इस्तीफे की मांग की है। तेजस्वी यादव ने कहा कि:

“नीतीश कुमार जी को अब तय करना होगा कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं या उसे बचाने वालों के साथ।”

चुप क्यों हैं नीतीश?

नीतीश कुमार की अब तक की चुप्पी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। उन्होंने इस मामले पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे फिलहाल मामले को “अंदरूनी तरीके” से सुलझाना चाह रहे हैं।

क्या हो सकता है आगे?

  • अगर आरोपों की जांच शुरू होती है, तो जेडीयू के भीतर हलचल बढ़ सकती है।
  • नीतीश कुमार पर दबाव है कि वे सार्वजनिक रूप से अपना रुख साफ करें।
  • कुशवाहा जैसे नेताओं के बयानों से संकेत मिलता है कि आने वाले समय में यह मुद्दा NDA के भीतर दरार का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष:
अशोक चौधरी पर लगे आरोपों ने बिहार की सियासत में एक नई बहस को जन्म दिया है। उपेंद्र कुशवाहा जैसे पुराने सहयोगी भी अब खुलकर सवाल उठा रहे हैं, जिससे नीतीश कुमार की नेतृत्व शैली और राजनीतिक संतुलन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इस संकट से कैसे निपटते हैं—कार्रवाई करके या चुप रहकर।

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