RBI on Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजे घोषित कर दिए। इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी रेपो रेट फिलहाल 6.50% पर ही कायम रहेगा। यह फैसला ऐसे समय आया है जब देश की अर्थव्यवस्था टैरिफ टेंशन, वैश्विक मंदी के दबाव और GST सुधारों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती से जूझ रही है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है। दरअसल, केंद्रीय बैंक का मानना है कि मुद्रास्फीति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन अभी भी वैश्विक हालात और घरेलू चुनौतियों को देखते हुए सतर्क रहना जरूरी है।
रेपो रेट वही क्यों रखा गया?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI, बैंकों को अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराता है।
- यदि रेपो रेट घटता है तो लोन सस्ता हो जाता है और मांग बढ़ती है।
- अगर रेपो रेट बढ़ता है तो लोन महंगा हो जाता है और महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।
इस बार RBI ने इसे स्थिर रखने के पीछे ये प्रमुख कारण बताए:
- मुद्रास्फीति नियंत्रण में: खुदरा महंगाई दर हाल के महीनों में नरम पड़ी है।
- वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिका, चीन और यूरोप की अर्थव्यवस्था में मंदी और व्यापारिक तनाव का असर भारत पर भी हो सकता है।
- GST सुधार और घरेलू बाजार: हाल के सुधारों का असर पूरी तरह सामने आना बाकी है, इसलिए RBI किसी जल्दबाजी में नहीं है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
- अमेरिका और यूरोप में केंद्रीय बैंक अभी भी उच्च ब्याज दरों पर टिके हुए हैं।
- चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत मिल रहे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टैरिफ वार और व्यापारिक तनाव बढ़ रहे हैं, जिससे भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
इन सब हालातों को देखते हुए RBI ने संतुलित नीति अपनाने का फैसला किया है।
गृह ऋण और आम आदमी पर असर
रेपो रेट में बदलाव न होने का सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा।
- होम लोन और कार लोन की EMI में कोई बदलाव नहीं होगा।
- नए लोन लेने वालों को फिलहाल राहत नहीं मिलेगी।
- महंगाई में कमी से आम उपभोक्ता को थोड़ी राहत जरूर है।
बाजार की प्रतिक्रिया
RBI के फैसले के बाद शेयर बाजार में स्थिरता देखने को मिली। बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में हल्की तेजी रही, जबकि IT और FMCG सेक्टर के शेयर फ्लैट रहे।
- विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों के लिए यह संकेत है कि फिलहाल मौद्रिक नीति स्थिर रहेगी।
विशेषज्ञों की राय
- फाइनेंशियल एनालिस्ट्स का कहना है कि RBI ने बिल्कुल सही समय पर सही फैसला लिया है।
- अगर रेपो रेट घटाया जाता तो महंगाई पर दबाव बढ़ सकता था।
- वहीं, बढ़ाने से आर्थिक विकास धीमा हो सकता था।
आगे की रणनीति
RBI ने साफ कहा है कि आने वाले महीनों में वह मुद्रास्फीति और विकास दर दोनों पर पैनी नजर बनाए रखेगा।
- अगर वैश्विक हालात बिगड़ते हैं तो RBI अगली नीति में कदम उठा सकता है।
- फिलहाल प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना है।
निष्कर्ष
RBI का रेपो रेट स्थिर रखने का फैसला एक संतुलित रणनीति का हिस्सा है।
- एक तरफ GST सुधारों से घरेलू बाजार में सुधार की उम्मीद है।
- दूसरी तरफ वैश्विक टैरिफ टेंशन और आर्थिक अनिश्चितता अभी भी चुनौती बने हुए हैं।
ऐसे में RBI का यह फैसला बताता है कि फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता की जरूरत है, न कि प्रयोग की।
यह भी पढ़ें : ढाबे पर रसोइया, बैंक खाते में करोड़ों का खेल! इनकम टैक्स ने किया बड़ा खुलासा
















Leave a Reply