नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले रूस का बड़ा ऐलान, कहा- ट्रंप का करेंगे समर्थन

नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले रूस का बड़ा ऐलान, कहा- ट्रंप का करेंगे समर्थन

नोबेल पीस प्राइज 2025 की घोषणा से ठीक पहले एक ऐसा बयान आया जिसने वैश्विक राजनीति में भूचाल ला दिया है। रूस ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वह आने वाले अमेरिकी चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में रहेगा। यह ऐलान ऐसे समय पर किया गया है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय नोबेल शांति पुरस्कार के लिए संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा कर रहा है, जिनमें ट्रंप का नाम भी प्रमुख रूप से शामिल है।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने शुक्रवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि,

“रूस उन नेताओं का समर्थन करता है जो दुनिया में वास्तविक शांति चाहते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में युद्धों को भड़काने के बजाय संवाद को प्राथमिकता दी थी। हमें लगता है कि वैश्विक स्थिरता के लिए उनका नेतृत्व आवश्यक है।”

इस बयान के बाद अमेरिकी राजनीति, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के गलियारों में हलचल मच गई है, क्योंकि यह सीधे तौर पर अमेरिका की चुनावी राजनीति में बाहरी हस्तक्षेप का संकेत माना जा रहा है।

नोबेल पीस प्राइज से पहले बढ़ी हलचल

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के संभावित विजेताओं में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की, गाजा शांति समिति, और डोनाल्ड ट्रंप का नाम शामिल है।
ट्रंप का नाम इसलिए चर्चा में है क्योंकि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच ऐतिहासिक बातचीत कराई थी और अब्राहम समझौते के तहत इजरायल और अरब देशों के बीच संबंध सामान्य करने की दिशा में बड़ा योगदान दिया था।

अब जब रूस ने खुलकर ट्रंप का समर्थन कर दिया है, तो यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह बयान नोबेल कमेटी के निर्णय को प्रभावित करेगा?

रूस की दलील — “शांति के लिए ट्रंप जरूरी”

रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि

“डोनाल्ड ट्रंप एक ऐसे नेता हैं जो सैन्य टकराव के बजाय कूटनीतिक समाधान में विश्वास रखते हैं। उन्होंने रूस के साथ खुली बातचीत का रास्ता अपनाया, जबकि मौजूदा अमेरिकी प्रशासन ने तनाव को और बढ़ाया है।”

रूस ने यह भी दावा किया कि ट्रंप के नेतृत्व में दुनिया ने किसी बड़े युद्ध का सामना नहीं किया, जबकि मौजूदा दौर में यूक्रेन, गाजा और ताइवान जैसे क्षेत्र युद्ध की चपेट में हैं।

अमेरिकी राजनीति में मचा बवाल

रूस के इस ऐलान ने अमेरिका की घरेलू राजनीति में तूफान ला दिया है।
डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसे “विदेशी हस्तक्षेप का खतरनाक संकेत” बताते हुए बाइडेन प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग की है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने भी एक बयान जारी कर कहा कि,

“कोई भी देश यदि हमारे लोकतांत्रिक चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।”

वहीं, ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा,

“रूस समझता है कि मैं शांति चाहता हूं, युद्ध नहीं। यही फर्क है मुझमें और बाइडेन में।”

ट्रंप ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बने, तो “यूक्रेन-रूस युद्ध 24 घंटे में खत्म कर देंगे।”

नोबेल कमेटी ने दी प्रतिक्रिया

नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने रूस के बयान पर सावधानी से प्रतिक्रिया दी है।
ओस्लो से जारी एक बयान में समिति ने कहा,

“नोबेल पुरस्कार स्वतंत्र प्रक्रिया के तहत तय होता है। किसी देश या राजनीतिक समूह का समर्थन या विरोध हमारे निर्णय को प्रभावित नहीं करता।”

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का यह ऐलान अंतरराष्ट्रीय बहस को और तीखा कर देगा, और ट्रंप का नाम अब पहले से कहीं ज्यादा विवादास्पद हो गया है।

पुतिन और ट्रंप के रिश्ते – पृष्ठभूमि

यह कोई पहला मौका नहीं है जब रूस ने ट्रंप के प्रति समर्थन जताया हो।
ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल (2017–2021) के दौरान भी रूस और अमेरिका के संबंधों में नरमी आई थी।
दोनों देशों के नेताओं के बीच कई बार निजी मुलाकातें हुईं, जिनमें सुरक्षा, ऊर्जा, और आतंकवाद विरोधी सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी।

2016 के अमेरिकी चुनावों में भी रूस पर ट्रंप को चुनावी लाभ पहुंचाने के आरोप लगे थे, हालांकि उस समय विशेष अभियोजक रॉबर्ट मुलर की जांच में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के ठोस सबूत नहीं मिले थे।

अब एक बार फिर पुतिन प्रशासन की ओर से ट्रंप के समर्थन की घोषणा को अमेरिकी खुफिया एजेंसियां “प्रभाव अभियान (Influence Operation)” के तौर पर देख रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

रूस के इस बयान पर यूरोपीय देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा कि,

“यह स्पष्ट है कि रूस एक बार फिर वैश्विक लोकतंत्र के खिलाफ खेल खेल रहा है। नोबेल पुरस्कार जैसे मंच को राजनीतिक साधन बनाना अस्वीकार्य है।”

फ्रांस ने भी इसे “कूटनीतिक मर्यादा का उल्लंघन” बताया, जबकि जर्मनी ने कहा कि “रूस अब शांति नहीं, बल्कि भ्रम फैलाने की रणनीति में लगा है।”

चीन ने इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया है, लेकिन उसने भी कहा कि “नोबेल पुरस्कार का इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक एजेंडे के लिए नहीं होना चाहिए।”

ट्रंप के समर्थक खुश, विरोधी नाराज़

अमेरिका में ट्रंप के समर्थकों ने रूस के बयान को “सत्य की पुष्टि” बताया है।
कई रिपब्लिकन नेताओं ने कहा कि यह दिखाता है कि “ट्रंप ही वह नेता हैं जो वैश्विक शांति बहाल कर सकते हैं।”
वहीं, डेमोक्रेट्स और उदारवादी संगठनों ने ट्रंप पर “विदेशी समर्थन पर निर्भर राजनीति” करने का आरोप लगाया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि,

“यह बयान नोबेल पुरस्कार से ज्यादा अमेरिकी चुनावों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।”

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 – क्या ट्रंप बनेंगे विजेता?

नोबेल समिति की तरफ से अब तक किसी नाम की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
लेकिन सूत्रों के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप, वोलोदिमिर जेलेंस्की, और संयुक्त राष्ट्र राहत दल (UNRWA) शीर्ष दावेदारों में हैं।

अगर ट्रंप को यह पुरस्कार मिलता है, तो यह अमेरिका के इतिहास में पहली बार होगा जब एक पूर्व राष्ट्रपति को शांति के लिए नोबेल सम्मान मिलेगा, बावजूद इसके कि वह राजनीतिक रूप से इतने विवादास्पद रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय

अंतरराष्ट्रीय राजनीति विशेषज्ञ डॉ. एलेक्सेई कोरोलोव का कहना है कि,

“रूस का यह बयान समयबद्ध और रणनीतिक है। नोबेल पुरस्कार से पहले ऐसा बयान देना पुतिन का एक संकेत है कि वे वैश्विक विमर्श को नियंत्रित करना चाहते हैं।”

वहीं अमेरिकी विश्लेषक रॉबर्ट हेंडरसन का कहना है,

“यह केवल ट्रंप के समर्थन की घोषणा नहीं, बल्कि बाइडेन के विरोध का प्रतीक है। रूस यह संदेश दे रहा है कि उसे मौजूदा अमेरिकी प्रशासन से कोई भरोसा नहीं है।”

निष्कर्ष

नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से ठीक पहले रूस का यह ऐलान वैश्विक राजनीति की दिशा बदलने वाला कदम साबित हो सकता है।
जहां एक ओर ट्रंप के समर्थक इसे “शांति के पक्ष में बयान” मान रहे हैं, वहीं उनके विरोधी इसे “लोकतंत्र पर हमला” बता रहे हैं।
अब सबकी नजरें नोबेल समिति के फैसले पर हैं — क्या वह इस विवाद से ऊपर उठकर निर्णय लेगी, या फिर यह साल शांति पुरस्कार के इतिहास में सबसे विवादित अध्याय के रूप में दर्ज होगा?

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