अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपनी सक्रियता को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के इतर उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से हुई। दोनों नेताओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों और एक्सपर्ट्स के बीच हलचल मच गई।
मुलाकात पर पाकिस्तान का उत्साह
इस मुलाकात को पाकिस्तान की मीडिया ने बड़ी कवरेज दी। पाकिस्तान के विश्लेषकों का कहना है कि अगर ट्रंप फिर से अमेरिकी राजनीति में मजबूत भूमिका निभाते हैं तो यह पाकिस्तान के लिए “राजनयिक राहत” साबित हो सकता है।
PAK एक्सपर्ट्स की आशंका
लेकिन कुछ पाकिस्तानी जानकारों ने इस मुलाकात पर तंज कसा। उनका कहना है –
“ट्रंप की मुलाकातें और बयानबाज़ी अक्सर चमकदार होती हैं, लेकिन टिकती नहीं। देखते हैं अमेरिका का यह प्यार कितने दिन चलता है।”
कुछ एक्सपर्ट्स ने यहां तक कहा कि ट्रंप के साथ भारत के रिश्ते कहीं ज्यादा मजबूत हैं और भविष्य में ट्रंप का झुकाव फिर से भारत की ओर ही रहेगा।
भारत का संदर्भ क्यों आया?
- ट्रंप के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत हुए थे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती चर्चा का विषय रही। (हाउडी मोदी इवेंट याद कीजिए!)
- रक्षा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध गहरे हुए।
- यही वजह है कि पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स अब डर जता रहे हैं कि ट्रंप का रुख अंततः भारत के पक्ष में ही रहेगा।
पाकिस्तान की दुविधा
शहबाज सरकार अमेरिका से रिश्तों को मजबूत करना चाहती है, लेकिन आर्थिक संकट और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता इसे मुश्किल बना रहे हैं। ऐसे में ट्रंप से मुलाकात को पाकिस्तान बड़ी उपलब्धि दिखाने की कोशिश कर रहा है।
निष्कर्ष
ट्रंप और शहबाज शरीफ की तस्वीरें भले ही पाकिस्तान में चर्चा का विषय बनी हों, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप की राजनीतिक दिशा और उनका झुकाव आखिरकार भारत की ओर ही ज्यादा रहेगा। अब देखना यह होगा कि ट्रंप के “अमेरिकी प्यार” की यह कहानी पाकिस्तान के लिए कितने दिन टिकती है।
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