क्या मंडे मार्केट पर चढ़ेगा जीएसटी रिफॉर्म्स का रंग, जानें 22 को कैसी रहेगी शेयर बाजार की चाल?

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आने वाले हफ्ते शेयर बाजार निवेशकों के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है। सरकार ने हाल ही में जीएसटी (GST) रिफॉर्म्स को लेकर कई बड़े फैसले किए हैं, जिनका सीधा असर स्टॉक्स और निवेशकों की धारणा पर देखने को मिल सकता है। खासकर सोमवार, 22 सितंबर को बाजार की चाल पर सबकी नजरें टिकी होंगी। सवाल यह है कि क्या इन बदलावों से मंडे मार्केट में तेजी आएगी या फिर उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहेगा?

जीएसटी रिफॉर्म्स से क्या उम्मीदें हैं?

  • सरकार ने दूध, घी, पनीर और आइसक्रीम जैसे रोजमर्रा के उपयोगी उत्पादों पर GST दरों में कटौती की है।
  • इलेक्ट्रॉनिक गुड्स और MSME सेक्टर को राहत देने के लिए भी कुछ नए प्रावधान लागू किए गए हैं।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे FMCG और कंज्यूमर गुड्स सेक्टर के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।
  • वहीं, लघु उद्योगों को राहत मिलने से मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों पर भी पॉजिटिव असर पड़ेगा।

22 सितंबर को बाजार की चाल कैसी रहेगी?

  • विश्लेषकों का कहना है कि बाजार का मूड सोमवार को काफी हद तक ग्लोबल क्यूज़ और GST सुधारों पर निर्भर करेगा।
  • विदेशी निवेशक (FIIs) लगातार भारतीय बाजार में रुचि दिखा रहे हैं, हालांकि अमेरिकी ब्याज दरों और तेल की कीमतों पर नजर रखना जरूरी होगा।
  • निफ्टी 50 के लिए 22,200 का स्तर अहम सपोर्ट माना जा रहा है, जबकि 22,800 का स्तर रेजिस्टेंस के तौर पर देखा जा रहा है।
  • बैंकिंग और IT सेक्टर के शेयरों में हल्की मुनाफावसूली की संभावना जताई जा रही है।

कौन से सेक्टर रहेंगे फोकस में?

  1. FMCG और कंज्यूमर गुड्स – GST रेट कट का सीधा फायदा।
  2. ऑटो सेक्टर – फेस्टिव सीजन की शुरुआत के साथ बिक्री में उछाल।
  3. मेटल और एनर्जी – ग्लोबल प्राइस पर निर्भरता, उतार-चढ़ाव की संभावना।
  4. IT सेक्टर – डॉलर-रुपया विनिमय दर और अमेरिकी बाजारों के मूड से असर।

निवेशकों के लिए क्या रणनीति हो?

  • शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को FMCG और ऑटो शेयरों पर नजर रखनी चाहिए।
  • मिडकैप और स्मॉलकैप में चयनात्मक निवेश से बेहतर रिटर्न की संभावना है।
  • लॉन्ग टर्म निवेशकों को हर गिरावट पर अच्छे स्टॉक्स में सिस्टेमैटिक खरीदारी करने की सलाह दी जा रही है।

निष्कर्ष

22 सितंबर को मंडे मार्केट की दिशा तय करने में GST सुधार सबसे बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं। अगर ग्लोबल संकेत सकारात्मक रहे तो भारतीय बाजार में तेजी का दौर देखने को मिलेगा। हालांकि, निवेशकों को सतर्क रहते हुए संतुलित रणनीति अपनाने की जरूरत होगी।

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